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Up Kiran, Digital Desk: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक शांत सुबह अचानक अफरातफरी में बदल जाए, जब गांव की धर्मशाला में मगरमच्छ घुस आए? ऐसा ही नजारा मंगलवार सुबह बिजनौर जिले के मंडावर थाना क्षेत्र के गांव चाहड़वाला में देखने को मिला, जब गंगा से भटककर एक विशाल मगरमच्छ सीधे गांव में आ पहुंचा।
धर्मशाला में मगरमच्छ के दाखिल होते ही पूरे गांव में सनसनी फैल गई। लोग भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीण भी मौके पर इकट्ठा हो गए। सबसे पहले वन विभाग को फोन कर हालात से अवगत कराया गया, लेकिन जब देर तक कोई मदद नहीं पहुंची, तो ग्रामीणों ने खुद कमान संभाल ली।
लाठी-डंडे और हिम्मत के बल पर काबू पाया
गांव के कुछ साहसी लोगों ने लाठियों और डंडों के सहारे मगरमच्छ को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू की। काफी मशक्कत के बाद वे उसे रस्सियों से बांधने में कामयाब हो गए। यह एक जोखिम भरा कदम था, लेकिन ग्रामीणों ने समझदारी और संयम से काम लेते हुए स्थिति को संभाल लिया।
वन विभाग की टीम की गैरहाज़िरी से नाराज़ ग्रामीणों ने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना था कि यदि टीम समय पर आती, तो उन्हें यह खतरा खुद नहीं उठाना पड़ता। मगरमच्छ को पकड़ने के बाद भी जब कोई सहायता नहीं आई, तो ग्रामीणों ने खुद ही उसे गंगा नदी में वापस छोड़ने का फैसला लिया।
मौसम का असर या प्रशासन की चूक?
वन विभाग की तरफ से सफाई दी गई कि बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ जाने से अक्सर जंगली जीव रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं। विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना था कि जब तक उनकी टीम चाहड़वाला गांव पहुंची, तब तक मगरमच्छ को ग्रामीण गंगा में छोड़ चुके थे।
साथ ही विभाग ने यह अपील भी की कि भविष्य में इस तरह के हालात में लोग खुद से कोई कार्रवाई न करें, क्योंकि इससे जान का जोखिम हो सकता है। उन्होंने ग्रामीणों से सतर्क रहने और वन विभाग को तुरंत सूचित करने की सलाह दी है।
ग्रामीणों की बहादुरी, लेकिन प्रशासन से सवाल
इस घटना ने जहां ग्रामीणों की हिम्मत और एकता को उजागर किया, वहीं वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ग्रामीणों की जान जोखिम में डालना सही था? क्या विभाग की देरी किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता नहीं दे सकती थी?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आपदा की घड़ी में स्थानीय लोग ही सबसे पहले आगे आते हैं। लेकिन साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि प्रशासनिक अमला समय पर प्रतिक्रिया दे, ताकि कोई हादसा न हो और आम लोग खुद को असहाय महसूस न करें।
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