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Up Kiran, Digital Desk: बारिश के बाद पहाड़ों में आई आपदा ने आम जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। लेकिन इसी बीच एक ऐसी कहानी सामने आई है जिसने यह दिखा दिया कि अगर इरादा पक्का हो तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। राजस्थान के चार युवाओं ने अपने करियर को बचाने के लिए वो किया जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी।

जब सड़कें बंद हो गईं

उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी की बीएड की परीक्षा बुधवार को आयोजित की गई थी। इसमें शामिल होने के लिए राजस्थान के बालोतरा इलाके से चार छात्र—ओमाराम, मागाराम, प्रकाश और नरपत—मुनस्यारी परीक्षा केंद्र पहुंचने की तैयारी में थे। लेकिन जब ये छात्र हल्द्वानी पहुंचे तो उन्हें पता चला कि भारी बारिश के बाद भूस्खलन हुआ है और कई रास्ते बंद हो चुके हैं।

हेलीकॉप्टर ही बना आखिरी रास्ता

परीक्षा से एक दिन पहले इन युवाओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि परीक्षा कैसे दी जाए। एक साल बर्बाद होने का डर उन्हें बेचैन कर रहा था। ऐसे में उन्होंने हल्द्वानी से मुनस्यारी के बीच चलने वाली हेली सेवा से संपर्क किया। अपनी स्थिति बताने के बाद उन्हें कंपनी का सहयोग मिला और तय समय पर वे मुनस्यारी पहुंचे भी। परीक्षा के तुरंत बाद अगले दिन चारों छात्र हेलीकॉप्टर से ही वापस हल्द्वानी लौट आए।

पढ़ाई की कीमत चुकाई जेब से

हवाई यात्रा के इस फैसले ने उनकी जेब पर गहरा असर डाला। एक ओर का किराया 5200 रुपये था और दोनों तरफ का कुल खर्च 10,400 रुपये प्रति व्यक्ति आया। यानी चारों ने मिलकर 40,000 रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए। हालांकि उनका कहना है कि पैसे खर्च हुए लेकिन साल बच गया, यही सबसे बड़ी राहत है।

हेली सेवा के लिए जताया आभार

इन युवाओं ने हेली सेवा की उपलब्धता और सहयोग के लिए कंपनी के सीईओ रोहित माथुर और पायलट प्रताप सिंह का आभार जताया। वहीं यूनिवर्सिटी की ओर से परीक्षा प्रभारी सोमेश कुमार ने कहा कि छात्रों को परीक्षा केंद्र चुनने की पूरी आज़ादी होती है।