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Up Kiran, Digital Desk: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जहाँ सफलता के पीछे दौड़ना आम हो गया है, काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। बहुत से लोग अनजाने में ही 'वर्कहोलिक' यानी काम के आदी हो जाते हैं, जिसका असर उनके स्वास्थ्य और रिश्तों पर पड़ता है। 'राष्ट्रीय वर्कहोलिक दिवस' हमें इसी संतुलन पर विचार करने का मौका देता है।

काम का जुनून अगर हद से गुजर जाए, तो यह न केवल तनाव, बर्नआउट और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है, बल्कि हमारे रिश्तों और खुशी को भी प्रभावित करता है। यदि आप भी खुद को काम में बहुत अधिक डूबा हुआ पाते हैं, तो एक स्वस्थ काम-जीवन संतुलन हासिल करने के लिए यहाँ कुछ व्यावहारिक रणनीतियाँ दी गई हैं:

सीमाएँ निर्धारित करें: अपने काम के घंटे तय करें और उनका सख्ती से पालन करें। ऑफिस का समय खत्म होने के बाद या छुट्टियों के दौरान ईमेल और कॉल का जवाब देने से बचें। अपने निजी समय को काम से अलग रखना सीखें।

काम सौंपना सीखें: हर काम खुद करने की बजाय, अपने सहकर्मियों या टीम पर भरोसा करें और उन्हें जिम्मेदारी सौंपें। इससे आपका बोझ कम होगा और दूसरों को भी बढ़ने का मौका मिलेगा।

आत्म-देखभाल को प्राथमिकता दें: पर्याप्त नींद लें, नियमित व्यायाम करें और अपनी पसंदीदा गतिविधियों या शौक के लिए समय निकालें। ये चीजें आपको शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा महसूस कराती हैं।

नियमित ब्रेक और छुट्टी लें: काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लें ताकि आप थके हुए महसूस न करें। साल में लंबी छुट्टियाँ ज़रूर लें और काम से पूरी तरह डिस्कनेक्ट होकर आराम करें। यह आपको फिर से ऊर्जावान होने में मदद करेगा।

काम से डिस्कनेक्ट करें: घर पहुँचते ही या वीकेंड पर काम से जुड़ी नोटिफिकेशन्स बंद कर दें और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूरी बनाएं। काम को काम की जगह पर छोड़ना सीखें।

समर्थन लें: यदि आप काम के बोझ से दबे हुए महसूस कर रहे हैं, तो अपने बॉस, एचआर या परिवार के सदस्यों से बात करें। मदद मांगना कमजोरी नहीं, समझदारी है।

माइंडफुल रहें: अपने निजी जीवन के पलों का पूरा आनंद लें। जब आप परिवार या दोस्तों के साथ हों, तो पूरी तरह वहीं मौजूद रहें, न कि काम के बारे में सोचते रहें।

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