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Up Kiran, Digital Desk: हार्लेक्विन इचथ्योसिस (Harlequin Ichthyosis - HI) एक अत्यंत दुर्लभ और गंभीर जन्मजात त्वचा विकार है, जो जन्म के समय ही स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यह स्थिति नवजात शिशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है, हालांकि आधुनिक चिकित्सा देखभाल से कुछ बच्चे जीवित रहने में सफल हुए हैं। इस विकार से पीड़ित बच्चों को जीवन भर विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
हार्लेक्विन इचथ्योसिस के कारण (Causes):
यह एक आनुवंशिक स्थिति है जो ABCA12 जीन में उत्परिवर्तन (mutation) के कारण होती है। यह जीन त्वचा की बाहरी परत (एपिडर्मिस) के निर्माण में एक महत्वपूर्ण प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देता है। जब इस जीन में खराबी आ जाती है, तो त्वचा ठीक से विकसित नहीं हो पाती, जिससे एक मोटी, कठोर और कवच जैसी त्वचा की परत बन जाती है। यह एक ऑटोसोमल रिसेसिव (autosomal recessive) स्थिति है, जिसका अर्थ है कि बच्चे को यह विकार तब होता है जब उसे माता-पिता दोनों से उत्परिवर्तित जीन की एक-एक प्रति प्राप्त होती है।
लक्षण और बच्चे का स्वरूप (Symptoms and Appearance):
हार्लेक्विन इचथ्योसिस से पीड़ित नवजात शिशु निम्नलिखित लक्षणों के साथ पैदा होते हैं:
मोटी, कवच जैसी त्वचा: पूरे शरीर पर मोटे, पीले या भूरे रंग के, हीरे के आकार के या चौकोर आकार के शल्क (scales) होते हैं, जो त्वचा की एक मोटी परत बनाते हैं।
त्वचा में गहरी दरारें: इन शल्कों के बीच गहरी, दर्दनाक दरारें (fissures) होती हैं, जो त्वचा को फैलने से रोकती हैं।
सीमित गति: त्वचा की कठोरता के कारण शिशु की अंगुलियों, पैर की अंगुलियों और बाहों-पैरों की गति सीमित हो जाती है।
सांस लेने में कठिनाई: छाती और पेट पर की मोटी त्वचा के कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
निर्जलीकरण (Dehydration): त्वचा की असामान्य परत नमी को बनाए रखने में असमर्थ होती है, जिससे निर्जलीकरण का खतरा बढ़ जाता है।
संक्रमण का उच्च जोखिम: त्वचा में गहरी दरारों के कारण बैक्टीरिया आसानी से प्रवेश कर सकते हैं, जिससे गंभीर संक्रमण का खतरा होता है।
तापमान नियंत्रण में समस्या: शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी कठिनाई होती है।
खाने-पीने में समस्या: चेहरे की त्वचा की कठोरता के कारण दूध पीने या चूसने में भी परेशानी हो सकती है।
उपचार और प्रबंधन (Treatment and Management):
हार्लेक्विन इचथ्योसिस का कोई पूर्ण इलाज नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को प्रबंधित करने और शिशु को जीवित रखने पर केंद्रित होता है:
सघन नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) देखभाल: जन्म के तुरंत बाद शिशु को विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।
मॉइस्चराइज़र और एमोलिएंट्स: त्वचा को मुलायम रखने, दरारों को भरने और निर्जलीकरण को रोकने के लिए लगातार विशेष प्रकार के मलहम (जैसे पेट्रोलियम-आधारित) लगाए जाते हैं।
एंटीबायोटिक्स: त्वचा के संक्रमण को रोकने या उसका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
हाइड्रेशन और पोषण: शिशु को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ और पोषण मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाता है।
तापमान नियंत्रण: शिशु के शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखने के लिए उपाय किए जाते हैं।
श्वसन सहायता: सांस लेने में कठिनाई होने पर वेंटिलेशन जैसी सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
जीवन दर और पूर्वानुमान (Survival Rate and Prognosis):
हार्लेक्विन इचथ्योसिस का पूर्वानुमान बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। ऐतिहासिक रूप से, अधिकांश नवजात शिशु जन्म के कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर ही जटिलताओं (जैसे संक्रमण, निर्जलीकरण, सांस लेने में समस्या) के कारण मर जाते थे। हालांकि, उन्नत नवजात देखभाल (neonatal intensive care) के विकास के साथ, कुछ बच्चों के जीवित रहने की दर में सुधार हुआ है।
आज, उचित और निरंतर चिकित्सा देखभाल के साथ, कुछ बच्चे बचपन और किशोरावस्था तक जीवित रह सकते हैं। हालांकि, यह एक आजीवन स्थिति है जिसके लिए निरंतर प्रबंधन और देखभाल की आवश्यकता होती है। जो बच्चे जीवित रहते हैं, उन्हें त्वचा की समस्याओं, संक्रमण, विकास संबंधी देरी और दृष्टि संबंधी समस्याओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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