Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां हमें हर चीज 'अभी के अभी' चाहिए। चाहे वो खाना ऑर्डर करना हो, इंटरनेट की स्पीड हो, या फिर सफलता। हम इतने पढ़े-लिखे और समझदार हो गए हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि हमारे अंदर से 'धैर्य' (Patience) धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है।
सड़क पर थोड़ी सी ट्रैफिक हो जाए या इंटरनेट दो मिनट के लिए बंद हो जाए, हमारा खून खौलने लगता है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या यह आधुनिक जीवनशैली की देन है या हम खुद अपनी शांति के दुश्मन बन गए हैं? आइये, आज थोड़ी तसल्ली से इसी पर बात करते हैं।
सब्र की कमी: आधुनिक बीमारी
हम टेक्नोलॉजी के युग में जी रहे हैं। इसे आप 'तनाव का युग' भी कह सकते हैं। आज हमें 'त्वरित संतुष्टि' (Instant Gratification) की आदत पड़ गई है। हमने सोशल मीडिया पर फोटो डाली और तुरंत लाइक नहीं मिले तो बेचैनी होने लगती है। यह जो 'तुरंत परिणाम' की चाहत है, यही हमारे अंदर गुस्से और हताशा को जन्म दे रही है। यह अधीरता (Impatience) न सिर्फ हमारी मेंटल हेल्थ को बिगाड़ रही है, बल्कि हमारे रिश्तों में भी जहर घोल रही है।
आगे बढ़ना है, तो रुकना सीखें
हम अक्सर सोचते हैं कि जो तेज भागता है वही जीतता है। लेकिन सच यह है कि लंबी रेस वही जीतता है जिसके पास धैर्य होता है। चाहे वह करियर में सफलता पाना हो या परिवार को साथ लेकर चलना हो—सब्र हर जगह चाहिए।
जब हम खुद को बहुत ज्यादा व्यस्त कर लेते हैं, तो दिमाग थकने लगता है और हम चिड़चिड़े हो जाते हैं। अगर हम थोड़े एकाग्र मन से और बिना घबराए अपने रास्ते पर चलें, तो बड़े से बड़े दबाव को भी आसानी से झेल सकते हैं। याद रखिये, कोई भी बड़ा पेड़ एक दिन में नहीं उगता।
डिजिटल दुनिया का जाल और हमारा गुस्सा
आजकल लोगों के पास एक-दूसरे की बात सुनने का वक्त नहीं है। अगर कोई हमारी धारणा (Perception) के खिलाफ कुछ बोल दे, तो हम तुरंत आपा खो देते हैं और बहस करने लगते हैं। यह अधीरता हमारी खुशी की सबसे बड़ी दुश्मन है। हम सामने वाले की बात पूरी सुने बिना ही 'रिएक्ट' कर देते हैं।
जरूरी यह है कि हम उन वजहों को पहचानें जो हमें गुस्सा दिलाती हैं। क्या वो ऑफिस का प्रेशर है? या सोशल मीडिया की होड़? जब आप कारण समझ जाएंगे, तो शांत रहना आसान हो जाएगा।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं
जीवन हमेशा हमारे प्लान के मुताबिक नहीं चलता। कई बार हम पूरी मेहनत करते हैं, फिर भी रिजल्ट नहीं मिलता। यही वो पल होता है जब हमारे धैर्य की असली परीक्षा होती है। जो इंसान इस निराशा के दौर में भी अपना 'आप' नहीं खोता और शांत होकर दोबारा कोशिश करता है, कामयाबी उसी के कदम चूमती है।
गुस्सा, ताने मारना या बदला लेने की भावना—ये सब कमज़ोर धैर्य की निशानी हैं। रचनात्मक बनिए, समस्याओं पर सोच-विचार कीजिये। जब आप किसी काम को करने से पहले थोड़ा ठहरकर सोचेंगे, तो गलतियां कम होंगी और मन में पॉवरफुल पॉजिटिव एनर्जी आएगी।
तो दोस्तों, आज से थोड़ी 'हड़बड़ी' कम करते हैं। जिंदगी जीने का नाम है, उसे भागकर पार करने का नहीं। थोड़ा सब्र रखिये, क्योंकि वक्त आने पर सब कुछ सही हो ही जाता है।
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