img

Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राजनीति में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार उनकी बयानबाजी का असर सीधा भारतीय आम आदमी की जेब पर पड़ सकता है। जहां एक ओर वैश्विक राजनीति रूस-यूक्रेन युद्ध से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर ट्रंप ने रूस को 50 दिनों में युद्ध समाप्त करने का ‘अल्टीमेटम’ दे डाला है और नहीं मानने पर भारी-भरकम टैरिफ की चेतावनी भी दे दी है।

हालांकि यह धमकी सीधे रूस को दी गई है, लेकिन असर उन देशों पर भी पड़ सकता है जो रूस के साथ व्यापार करते हैं जिनमें भारत प्रमुख है। भारत रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीदता है। अब सवाल उठता है कि अगर ट्रंप सत्ता में लौटते हैं और रूस पर सख्ती बढ़ती है, तो क्या पेट्रोल-डीजल फिर 100 के पार जाएंगे?

ट्रंप की धमकी का तेल बाजार पर असर

डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा है कि अगर रूस युद्ध नहीं रोकता, तो रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा। इसका अर्थ है कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश जो रूसी तेल पर निर्भर हैं, उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

भारत अपनी कुल तेल जरूरत का करीब 88% आयात करता है और मौजूदा समय में इसका बड़ा हिस्सा रूस से आता है। रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत ने खुद को अंतरराष्ट्रीय महंगाई से काफी हद तक सुरक्षित रखा है। लेकिन अगर ट्रंप की धमकियों के चलते रूस से आयात घटता है या रुकता है, तो भारत को कहीं और से महंगा तेल खरीदना पड़ेगा।

आम आदमी की जेब पर सीधा असर

तेल की कीमतें जब वैश्विक बाजार में चढ़ती हैं, तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने में देर नहीं लगती। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर रूस पर ट्रंप की नीति लागू होती है और आपूर्ति बाधित होती है, तो कच्चा तेल 130-140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा और दाम 8 से 10 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं।

भारत का बैकअप प्लान – कितनी मजबूत है तैयारी?

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारत पहले 27 देशों से तेल खरीदता था, लेकिन अब 40 देशों से आयात कर रहा है। यानी सरकार ने संभावित संकट से निपटने के लिए एक विस्तृत रणनीति बनाई है। फिर भी, यह मानना गलत होगा कि रूस की जगह कोई और देश सस्ती दरों पर समान आपूर्ति कर सकता है।

रूस से भारत को जो फायदा मिल रहा था — जैसे कम कीमतों पर लंबे समय के अनुबंध वो किसी अन्य देश से आसानी से नहीं मिलेगा। इससे साफ है कि यदि रूस से आयात पर रोक लगती है, तो आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी और तेल की लागत बढ़ेगी, जिसका असर ट्रांसपोर्ट, खाद्य आपूर्ति और महंगाई दर पर भी देखा जा सकता है।

रूस झुकेगा या टकराव बढ़ेगा?

रूस ने पहले भी अमेरिकी दबाव को नज़रअंदाज़ किया है और अब भी उसकी नीति में बदलाव के संकेत नहीं हैं। ऐसे में ट्रंप की चेतावनी को भारत गंभीरता से ले रहा है, लेकिन सीधे टकराव की राह से बचना चाहता है। भारत का रुख स्पष्ट है जहां से सस्ता और भरोसेमंद तेल मिलेगा, वहीं से खरीदा जाएगा।

 

--Advertisement--