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Up Kiran, Digital Desk: 12 जून को अहमदाबाद में हुआ एयर इंडिया का बोइंग 787 विमान हादसा देश के अब तक के सबसे बड़े एविएशन हादसों में गिना जा रहा है। इस दर्दनाक घटना में 270 से अधिक यात्रियों की जान चली गई। हादसे के बाद से ही जांच एजेंसियां इसके कारणों की गहराई से पड़ताल कर रही हैं। जहां भारतीय जांच एजेंसी ने हाल ही में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, वहीं अब अमेरिकी अख़बार द वाल स्ट्रीट जर्नल ने भी एक अहम रिपोर्ट पेश की है, जिसने इस दुर्घटना को लेकर नई बहस को जन्म दे दिया है।
कैसे हुआ हादसा
द वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से मिली जानकारी इस ओर इशारा करती है कि विमान के फ्यूल स्विच को जानबूझकर बंद किया गया था और वो भी स्वयं कैप्टन पायलट द्वारा। रिपोर्ट में बताया गया कि फ्लाइट टेक-ऑफ के कुछ समय बाद फर्स्ट ऑफिसर ने हैरानी के साथ सीनियर पायलट से पूछा, “आपने फ्यूल स्विच क्यों बंद किया?” लेकिन इस पर वरिष्ठ पायलट की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उनकी चुप्पी और प्रतिक्रिया का अभाव इस पूरे घटनाक्रम को और भी रहस्यमय बना देता है।
भारतीय रिपोर्ट बनाम अमेरिकी खुलासे: मतभेद के संकेत
भारतीय जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में हादसे का कारण "फ्यूल स्विच ऑफ" होना बताया था, लेकिन उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह स्विच कैसे और किसके द्वारा बंद किया गया। इस रिपोर्ट में पायलटों के संवादों का उल्लेख तो है, मगर उसमें किसी एक पायलट की जिम्मेदारी निर्धारित नहीं की गई। वहीं, अमेरिकी रिपोर्ट ने इस बात को काफी ठोस रूप में रखा है कि सीनियर पायलट द्वारा ही फ्यूल स्विच ऑफ किया गया, जिससे पूरे विमान की ऊर्जा आपूर्ति ठप हो गई और विमान ने नियंत्रण खो दिया।
पायलटों का अनुभव और जिम्मेदारी पर उठते सवाल
इस उड़ान की कमान दो पायलटों के हाथ में थी सीनियर कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर। जहां सभरवाल को 15,600 घंटों से अधिक का उड़ान अनुभव था, वहीं कुंदर ने करीब 3,400 घंटे की फ्लाइंग की थी। अनुभव के इस बड़े अंतर के चलते कमांड की पूरी जिम्मेदारी सीनियर पायलट के पास थी। यही कारण है कि अब यह सवाल तेजी से उठने लगे हैं कि क्या इतनी अनुभवी कमान के बावजूद यह एक मानवीय गलती थी या फिर कुछ और?
FIP की नाराजगी और विवाद का बढ़ता दायरा
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने इस मामले में अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टिंग पर नाराजगी जताई है। संगठन का कहना है कि जांच पूरी होने से पहले किसी भी पायलट को दोषी करार देना जल्दबाजी होगी और इससे एविएशन कम्युनिटी पर गलत प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पहले से ही यह हादसा यात्रियों की सुरक्षा और एविएशन मानकों पर गंभीर सवाल उठा रहा है।
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