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नई दिल्ली में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ 2025 के मंच से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की दिशा और दृष्टिकोण पर गहरे सवाल उठाए। उनका कहना था कि हमें यह तय करना होगा कि हम भविष्य की टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनना चाहते हैं या सिर्फ सर्विस आधारित प्लेटफॉर्म तक सीमित रहना है। उनके सवालों और टिप्पणियों ने देशभर के उद्यमियों और निवेशकों के बीच चर्चा को जन्म दे दिया है।

क्या भारत सिर्फ डिलीवरी प्लेटफॉर्म तक सिमट गया है?
पीयूष गोयल ने कहा कि आज भारतीय स्टार्टअप्स का फोकस फूड डिलीवरी, इंस्टेंट ग्रॉसरी, फैंसी आइसक्रीम और फैंटेसी गेमिंग ऐप्स तक सीमित रह गया है, जबकि चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं सेमीकंडक्टर, बैटरी टेक्नोलॉजी और एआई जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, "हम क्यों सिर्फ डिलीवरी बॉय और गर्ल तैयार करने में संतुष्ट हो रहे हैं? हमें तकनीकी नेतृत्व और इनोवेशन की ओर देखना चाहिए।"

‘हमें आइसक्रीम बनानी है या चिप?’
मंत्री ने यह सवाल सीधा रखा कि क्या भारत की प्राथमिकता भविष्य की टेक्नोलॉजी होनी चाहिए या फिर तात्कालिक मुनाफा कमाने वाली उपभोक्ता सेवाएं? उन्होंने कहा, "स्टार्टअप का मतलब सिर्फ व्यापार नहीं होता, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की एक प्रक्रिया है। क्या हमें वास्तव में ग्लूटन फ्री आइसक्रीम और बेटिंग ऐप्स में इनोवेशन करना है या चिप और एआई जैसी तकनीकों में अग्रसर होना है?"

शार्क टैंक और अमन गुप्ता पर टिप्पणी
गोयल ने स्टार्टअप्स के प्रस्तुतिकरण के तरीके पर भी सवाल उठाए और शार्क टैंक जैसे प्लेटफॉर्म पर दिखाए जा रहे दृष्टिकोण को बदलने की बात कही। उन्होंने बोट के सह-संस्थापक और शार्क टैंक के जज अमन गुप्ता का नाम लेते हुए कहा, "आपका नजरिया बदलना होगा, क्योंकि स्टार्टअप का उद्देश्य सिर्फ एक प्रोडक्ट बेचना नहीं, बल्कि भविष्य की जरूरतों को पहचानना और समाधान देना होना चाहिए।"

स्टार्टअप जगत की प्रतिक्रिया: आदित पालिचा का जवाब
पीयूष गोयल की इन टिप्पणियों पर स्टार्टअप समुदाय की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। जेप्टो के को-फाउंडर आदित पालिचा ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "अमेरिका और चीन की टेक्नोलॉजी से हमारी तुलना करना आसान है, लेकिन भारत में हम ऐसी कंपनियां बना रहे हैं जो लाखों लोगों को रोजगार दे रही हैं।"

उन्होंने कहा, "जेप्टो ने सिर्फ 3.5 साल में 1.5 लाख लोगों को आजीविका दी है और हम हर साल सरकार को 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा टैक्स दे रहे हैं। यह भी एक तरह की राष्ट्र सेवा है।"

क्या कहती है यह बहस?
यह बहस केवल दो अलग-अलग दृष्टिकोणों की नहीं है, बल्कि भारत के स्टार्टअप भविष्य की दिशा को तय करने का एक संकेत है। क्या हमें वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में उतरना चाहिए या घरेलू समस्याओं के व्यावसायिक समाधान बनाकर भी देश को आगे ले जाया जा सकता है? यह एक सतत विमर्श है।