Up kiran,Digital Desk : जाने-माने अभिनेता और लेखक पीयूष मिश्रा, जो अपनी दमदार अदाकारी और बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में बॉलीवुड इंडस्ट्री और उसमें काम करने वालों पर तीखी टिप्पणी की है। उनका मानना है कि यह इंडस्ट्री 'पूरी तरह नकली' है, जहाँ रिश्ते काम के इर्द-गिर्द घूमते हैं, न कि सच्ची दोस्ती या अपनेपन पर आधारित होते हैं।
'हीरो बनने गया था, पैसे कमाने लगा': पीयूष मिश्रा का मुंबई का सफर
दिल्ली में 'साहित्य आजतक 2025' के मंच पर बोलते हुए, पीयूष मिश्रा ने मुंबई जाने के अपने मकसद को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "मैं हीरो बनने गया था, लेकिन मेरी जवानी का वह दौर निकल गया था। मुंबई मैं पैसे कमाने गया था, ताकि अपनी मां, बेटे और पत्नी को एक अच्छी जिंदगी दे सकूं। थिएटर ने मुझे सिर्फ संतुष्टि दी, शायद 'नकली' संतुष्टि।"
बॉलीवुड एक नकली दुनिया है, पर इसने मुझे बहुत कुछ दिया
जब उनसे पूछा गया कि बॉलीवुड किस तरह की जगह है, तो पीयूष मिश्रा ने जवाब दिया, "यह नकली है, बहुत नकली। हालांकि, इसने मुझे बहुत कुछ दिया है।" उन्होंने आगे कहा, "वहाँ काम के बाद कोई पार्टी या फेस्टिवल नहीं होता। मैं चुपचाप घर आकर, खाना खाकर सो जाता हूं। इंडस्ट्री में मेरे कोई ख़ास दोस्त नहीं हैं, हाँ, अनुराग कश्यप जैसे लोग हैं, जो शायद इंडस्ट्री के भी नहीं लगते।" पीयूष मिश्रा ने विशाल भारद्वाज और इम्तियाज अली जैसे निर्देशकों के साथ काम करने की इच्छा जताई, लेकिन साथ ही चेताया कि अगर कोई स्टारडम के चक्कर में पड़ गया, तो वह ज़िंदगी में और कुछ नहीं कर सकता।
काम से मिलता है काम, पार्टी से नहीं इंडस्ट्री की कठोर सच्चाई
पीयूष मिश्रा ने इंडस्ट्री में सफलता पाने के तरीके पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "यह एक गलत धारणा है कि पार्टियों में जाने से काम मिलता है। काम आपको काम से मिलता है, अगर आप अपने काम को जानते हैं। यदि आप एक्टर हैं और आपको अपना काम आता है, तो आपको काम मिलेगा।" उन्होंने इंडस्ट्री को 'दुर्दांत, निर्दयी और निष्ठुर' बताते हुए कहा कि जो काम नहीं जानते, उन्हें यह इंडस्ट्री बाहर फेंक देती है।
उन्होंने इंडस्ट्री में मौजूद 'फिसलने' के कई रास्तों का भी जिक्र किया, जैसे गांजा, चरस, शराब और लड़कियाँ, जो कि बहुत आसानी से उपलब्ध हैं। उनके अनुसार, ऐसे माहौल में 'सधकर' काम करना बहुत मुश्किल है।
'बॉडीगार्ड्स और नखरे' का क्या है माजरा?
हाल ही में 'कर्ली टेल्स' से बात करते हुए, पीयूष मिश्रा ने बॉलीवुड के 'हैंगओवर' और 'नखरों' पर भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, "लोगों का सर्कल बहुत बड़ा होता है, उनके साथ 8-9 लोग आते हैं, और कम से कम 12 बॉडीगार्ड्स चलते हैं। पता नहीं लोगों को इतने बॉडीगार्ड्स की ज़रूरत क्यों होती है।"
पीयूष मिश्रा की यह बातें इंडस्ट्री के काम करने के तरीके, उसमें मौजूद दिखावे और सच्चे टैलेंट की जगह पर सवाल खड़े करती हैं।
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