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Up Kiran, Digital Desk: लखनऊ के मोहनलालगंज थाने में इन दिनों एक शिलापट चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पर कई बड़े नाम हैं, जिनमें एसपी और अन्य उच्चाधिकारी शामिल हैं, लेकिन एक नाम जिसने सभी का ध्यान खींचा है, वह है प्रमोद कुमार उपाध्याय। यही वह व्यक्ति है, जो अपनी ठगी के कारनामों के कारण सुर्खियों में है। दिलचस्प बात यह है कि जिस थाने में प्रमोद का नाम एक शिलापट पर अंकित है, उसी थाने में उसके खिलाफ 23 मामले दर्ज हैं। कुल मिलाकर, प्रमोद पर लखनऊ के विभिन्न थानों में 30 से अधिक मामले दर्ज हैं।

लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि हाल ही में इस ठग को पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि प्रमोद कुमार उपाध्याय ने सस्ते प्लॉट का झांसा देकर 100 से ज्यादा सैन्य परिवारों को ठगा और करोड़ों रुपये ऐंठे।

एक ठग की कहानी: कैसे हुआ कारनामों का खुलासा?

प्रमोद कुमार उपाध्याय की धोखाधड़ी की परतें तब खुलनी शुरू हुईं जब मार्च 2025 में पुणे की लक्ष्मी देवी ने उसके खिलाफ एक मामला दर्ज कराया। लक्ष्मी देवी ने मोहनलालगंज के 'कान्हा उपवन कंपनी' से एक प्लॉट खरीदी थी और इसके लिए 10 लाख रुपये दिए थे। हालांकि, जब वह उस प्लॉट की लोकेशन पर पहुंची, तो वहां कोई जमीन नहीं थी। रजिस्ट्री होने के बावजूद ज़मीन का नामोंनिशान नहीं था।

इस शिकायत के बाद, मोहनलालगंज थाने के एसीपी रजनीश वर्मा ने मामले की गहराई से जांच शुरू की और प्रमोद के खिलाफ दर्ज कई पुराने मामलों का पता चला। इस खुलासे के बाद पुलिस की चार टीमों और एसटीएफ ने प्रमोद की तलाश शुरू की, और अंततः उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अब तक उसकी गिरफ्तारी के बाद से ही उसके शातिर कारनामों की और परतें सामने आ रही हैं।

मोहनलालगंज थाने में थी प्रमोद की पैठ

प्रमोद कुमार उपाध्याय की चालाकी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने मोहनलालगंज थाने के गेट की निर्माण में भी हाथ डाला था। इस काम के जरिए उसने पुलिस और प्रशासन में अपनी पैठ बनाई। इसके अलावा, प्रमोद ने एक पुलिस चौकी का मेंटीनेंस भी करवाया, ताकि उसे थाने में बार-बार आने-जाने का मौका मिले और वह अपने गंदे कामों को अंजाम दे सके।

यह न केवल प्रमोद की धूर्तता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि उसने स्थानीय प्रशासन और पुलिस के साथ कैसे अपने रिश्ते मजबूत किए थे। यह खुलासा थाने के भीतर उसकी मजबूत स्थिति को स्पष्ट करता है, जिससे वह अपने ठगी के नेटवर्क को अंजाम दे रहा था।

शहीदों के आश्रितों को दिया झांसा, सैन्य परिवारों में बनाई पैठ

प्रमोद ने सैन्य परिवारों को ठगने के लिए एक शातिर तरीका अपनाया था। उसने दो शहीदों के परिवारों को मुफ्त में प्लॉट देने का झांसा दिया। नवंबर 2017 में, उसने कानपुर के दोनों शहीदों के परिवारों को मोहनलालगंज बुलाया और एक बड़े कार्यक्रम में उनके नाम पर प्लॉट की रजिस्ट्री कर दी। इस घटना ने प्रमोद की छवि को सैन्य परिवारों में नायक की तरह स्थापित कर दिया।

इसके बाद, प्रमोद ने कई सैन्य परिवारों को अपनी ठगी का शिकार बनाया। शहीदों के परिवारों के साथ अपने अच्छे संबंधों के चलते उसे सैन्यकर्मियों का भरोसा मिला, जिसका फायदा उसने अपने ठगी के नेटवर्क को बढ़ाने में उठाया। इसके परिणामस्वरूप, प्रमोद ने 100 से अधिक सैन्य परिवारों से करोड़ों रुपये ठग लिए।

एसटीएफ और पुलिस का संयुक्त अभियान: गिरफ्तारी और भविष्य की कार्रवाई

रविवार रात, प्रमोद कुमार उपाध्याय को पुलिस और एसटीएफ की एक संयुक्त टीम ने गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद अब तक उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और नई शिकायतें भी सामने आ रही हैं। प्रमोद पर 25,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था, और उसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या केवल गिरफ्तारी से मामला खत्म हो जाएगा? प्रमोद ने इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की है कि अब जांच के दौरान यह स्पष्ट होगा कि उसने और कितने लोगों को ठगा है।

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