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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति हमेशा से ही हलचल भरी रही है, लेकिन सोमवार को जो नजारा देखने को मिला, उसने राज्य के राजनीतिक गलियारे में नया तड़का लगा दिया। मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अचानक अपने पार्टी कार्यालय पहुंचे, जहां कार्यकर्ताओं ने उनका जोश भरा स्वागत किया।

यह घटना इसलिए भी खास रही क्योंकि नीतीश कुमार रविवार शाम दिल्ली से पटना लौटे थे। उनके साथ कैबिनेट सहयोगी और करीबी नेता अशोक चौधरी भी मौजूद थे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा से बातचीत के दौरान, पार्टी कार्यालय गूंज उठा नारेबाजी से।

क्या है सियासी मायने

नीतीश कुमार दो दिन के दौरे पर दिल्ली गए थे। पहले दिन नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया और दूसरे दिन एनडीए कन्क्लेव में गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं से उनकी मुलाकात हुई। पर दिलचस्प बात यह रही कि पीएम मोदी की एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक के दौरान नीतीश कुमार बीच में ही निकल गए।

उनकी गैरमौजूदगी में राज्य का प्रतिनिधित्व उनके दोनों डिप्टी मुख्यमंत्री ने किया। ऐसे में पार्टी कार्यालय अचानक पहुंचना सवाल उठाता है कि क्या कोई बड़ी रणनीति या फेरबदल होने वाला है।

पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद: नीतीश का संदेश

करीब 15 से 20 मिनट तक पार्टी कार्यालय में रहे नीतीश कुमार ने प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर फीडबैक लिया और पार्टी कार्यकर्ताओं के जोश को बढ़ाया।

कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में जोरदार नारे लगाए, जो साफ़ संकेत था कि पार्टी नेतृत्व के प्रति उनकी निष्ठा और विश्वास अभी भी मजबूत है।

पीएम मोदी और नीतीश कुमार की केमिस्ट्री: मंच पर मेल, पर परदे के पीछे

नीतीश कुमार और पीएम मोदी की दोस्ताना केमिस्ट्री भले ही सार्वजनिक मंचों पर खूब दिखे, जहां दोनों एक-दूसरे की तारीफ करते नहीं थकते, लेकिन राजनीतिक गलियारों में दोनों के बीच सूक्ष्म तनाव और दूरी की खबरें भी आती रहती हैं।

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि नीतीश कुमार पीएम मोदी से ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे वे उनका सम्मान करना चाहते हों, जबकि पीएम मोदी ने भी उन्हें सम्मान से उठाया है। यह रिश्ता राजनीतिक रणनीति और भावनाओं का मिश्रण है, जो बिहार के विधानसभा चुनाव की आहट के साथ और भी जटिल होता जा रहा है।

विधानसभा चुनाव की तैयारी: राजनीति की गर्माहट बढ़ी

बिहार में अगले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी रणनीति पक्की करने में लगे हैं। ऐसे समय पर नीतीश कुमार का अचानक पार्टी कार्यालय पहुंचना और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत करना साफ़ संदेश देता है कि वे खुद को पूरी तरह से चुनावी मोड में ला चुके हैं।

राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि यह कदम संगठन को मजबूत करने, कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और पार्टी के भीतर एकता का संदेश देने के लिए उठाया गया है।

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