
Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश की महत्वाकांक्षी पोलवरम सिंचाई परियोजना एक बार फिर सियासी बयानबाजी का अखाड़ा बन गई है। वाईएसआरसीपी सरकार के मंत्री अंबाती रामबाबू ने टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि नायडू अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान पोलवरम परियोजना को पूरा करने के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं थे, और उन्होंने इस परियोजना को सिर्फ 'कमीशन' कमाने का एक ज़रिया बना दिया था।
मीडिया से बात करते हुए अंबाती रामबाबू ने साफ तौर पर कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने पोलवरम को "अपनी कमीशन का ATM" बना लिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि नायडू ने परियोजना के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग किया और काम को जानबूझकर धीमा किया ताकि वे अपने फायदे के लिए टेंडर और ठेकों में हेरफेर कर सकें।
अंबाती ने आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि नायडू के आठ साल के शासनकाल में पोलवरम परियोजना का केवल 20 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया था। वहीं, इसके विपरीत, वाईएसआरसीपी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में ही परियोजना का 75 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है, जो उनकी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मंत्री ने आगे कहा कि नायडू ने न केवल परियोजना को धीमा किया, बल्कि इसे राष्ट्रीय परियोजना के दर्जे से भी गिराने की कोशिश की, जिससे केंद्र सरकार की फंडिंग रुक गई और पूरी वित्तीय जिम्मेदारी राज्य सरकार पर आ गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नायडू ने पोलावरम के लिए आए फंड को दूसरी निजी परियोजनाओं, जैसे कि पट्टिसीमा लिफ्ट सिंचाई योजना, की ओर मोड़ दिया था।
रामबाबू ने नायडू पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने पोलावरम सिंचाई परियोजना प्राधिकरण (PIPA) और पर्यावरणीय मंजूरी जैसी आवश्यक स्वीकृतियों को प्राप्त करने में भी लापरवाही बरती, जिससे परियोजना में और देरी हुई। उन्होंने यह भी मांग की कि नायडू के कार्यकाल के दौरान दिए गए सभी टेंडरों को रद्द किया जाए और फिर से टेंडर जारी किए जाएं, ताकि काम में पारदर्शिता आ सके।
वाईएसआरसीपी मंत्री ने अंत में जोर देकर कहा कि पोलवरम परियोजना आंध्र प्रदेश की असली जीवनरेखा है और उनकी सरकार इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि राज्य के किसानों और लोगों को इसका लाभ मिल सके।
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