img

Up Kiran, Digital Desk: ओडिशा के झारसुगुड़ा और सुंदरगढ़ जैसे औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण जिलों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कोयला खनन, थर्मल पावर प्लांट, सीमेंट उद्योग और अन्य भारी औद्योगिक गतिविधियों के कारण इन क्षेत्रों में वायु, जल और भूमि तीनों तरह का प्रदूषण गंभीर होता जा रहा है।

प्रदूषण के स्रोत और प्रभाव:

वायु प्रदूषण: कोयला आधारित बिजली संयंत्रों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं और कण वायु की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।

जल प्रदूषण: खनन और औद्योगिक कचरे के अनुचित निपटान के कारण भूजल और सतही जल स्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं। पीने के पानी में हानिकारक रसायनों के मिलने से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

भूमि प्रदूषण: औद्योगिक कचरा और खनन से निकली सामग्री मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचा रही है, जिससे कृषि पर भी असर पड़ रहा है।

लोगों की चिंता और स्वास्थ्य पर असर:

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन इलाकों में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि उन्हें खुले में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि इन जिलों का विकास काफी हद तक इन्हीं उद्योगों पर निर्भर करता है, लेकिन इसके साथ ही लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्रशासन और उद्योग जगत के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि वे विकास के साथ-साथ पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा कैसे करें। प्रदूषण नियंत्रण के सख्त उपाय और टिकाऊ औद्योगिक प्रथाओं को अपनाना इस समस्या का समाधान हो सकता है।

--Advertisement--