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वेटिकन सिटी से एक बड़ी खबर सामने आई है। काफी वक्त से न्यूमोनिया से जूझ रहे और दोनों फेफड़ों में संक्रमण के कारण हॉस्पिटल में भर्ती रहे पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। हाल ही में उनकी हालत में कुछ सुधार के बाद उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी दी गई थी, मगर उनकी बिगड़ती सेहत फिर से चिंता का विषय बन गई थी।

ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु रहे पोप फ्रांसिस

पोप फ्रांसिस न केवल कैथोलिक ईसाइयों के सुप्रीम धार्मिक नेता थे, बल्कि वैश्विक शांति, मानवीय मूल्यों और सामाजिक न्याय के लिए उन्होंने कई निर्णायक पहल की थीं। उनके निधन के बाद अब पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अगला पोप कौन होगा।

कैसे होता है पोप का चुनाव, जानें

कैथोलिक चर्च में नए पोप के चयन की प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय और विधिपूर्वक की जाती है। इस प्रक्रिया को 'पेपल कॉन्क्लेव' (Papal Conclave) कहा जाता है, जो रोम स्थित सिस्टिन चैपल में आयोजित होता है। इसमें हिस्सा लेने वाले कार्डिनल्स – यानी चर्च के सबसे उच्च पदस्थ धर्माधिकारी – पूरी दुनिया से आते हैं। मगर दिलचस्प बात ये है कि वोटिंग का अधिकार केवल उन्हीं कार्डिनल्स को होता है जिनकी उम्र 80 वर्ष से कम है। यह संख्या अधिकतम 120 हो सकती है।

बंद दरवाजों के पीछे होती है वोटिंग, धुएं का रंग देता है संकेत

पोप के चुनाव के दौरान कार्डिनल्स सिस्टिन चैपल में पूरी तरह से दुनिया से कट जाते हैं। न कोई संचार, न कोई बाहरी संपर्क। चुनाव के दौरान गुप्त रूप से बैलेटिंग होती है। हर दिन चार बार वोटिंग की जाती है और तब तक होती रहती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल जाता।

जब नया पोप चुन लिया जाता है, तो बैलेट्स को एक खास स्टोव में जलाया जाता है। यदि चयन नहीं हो पाया तो काले धुएं का गुबार निकलता है और अगर चुनाव हो गया तो सफेद धुएं का रंग लोगों को इस ऐतिहासिक निर्णय की सूचना देता है।

कौन हैं नए पोप की रेस में सबसे आगे

पोप फ्रांसिस के उत्तराधिकारी के रूप में कई प्रमुख नामों की चर्चा हो रही है। इस दौड़ में इटली के कार्डिनल पिएत्रो परोलिन, घाना के कार्डिनल पीटर टर्कसन और फिलीपींस के कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले प्रमुख माने जा रहे हैं।

इसके अलावा गिनी के कार्डिनल रॉबर्ट साराह, कांगो के कार्डिनल फ्रिडोलिन अम्बोंगो बेसुंगु और नीदरलैंड के कार्डिनल विम ईजक के नाम भी विश्लेषकों और चर्च के गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।