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Up Kiran, Digital Desk: मध्यप्रदेश के इटारसी नगर का एक मुस्लिम युवक, आरिफ खान, इन दिनों चर्चा में है। वजह है उनका वह अनोखा प्रस्ताव, जिसमें उन्होंने वृंदावन स्थित संत प्रेमानंद महाराज को अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई। आरिफ ने बाकायदा स्थानीय कलेक्टर को पत्र लिखकर अपनी मंशा सार्वजनिक की। हालांकि, संत ने इस पेशकश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अपने अनुयायी के इस जज़्बे के लिए आभार जताया।

संत का जवाब: धन्यवाद और मुलाकात का निमंत्रण

प्रेमानंद महाराज तक जब आरिफ के इस कदम की खबर पहुँची, तो उन्होंने बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। संत के प्रतिनिधि की ओर से आरिफ को संदेश भेजा गया कि महाराज उनकी भावना की कद्र करते हैं लेकिन किडनी की आवश्यकता नहीं है। प्रतिनिधि ने यह भी बताया कि जल्द ही उन्हें वृंदावन बुलाया जाएगा। महाराज ने आरिफ की भावनाओं पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस पहल ने पूरे देश में भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया है, जिसकी आज के समय में सबसे अधिक ज़रूरत है।

क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?

आरिफ बताते हैं कि वे लंबे समय से संत प्रेमानंद महाराज के आध्यात्मिक प्रवचनों और समाजसेवा के कार्यों से प्रभावित हैं। संत की सादगी, भक्ति और युवाओं को नैतिक जीवन की प्रेरणा देने वाले संदेशों ने उनके मन पर गहरी छाप छोड़ी। यही कारण था कि उन्होंने किडनी दान करने जैसी बड़ी इच्छा व्यक्त की। आरिफ का मानना है कि इससे वह संत के मिशन को अपने छोटे से स्तर पर सहयोग दे सकेंगे।

आरिफ की चिट्ठी में क्या लिखा था?

अपने पत्र में आरिफ ने लिखा कि वह महाराज के आचरण और जीवनशैली से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने लिखा कि सोशल मीडिया और अखबारों से उन्हें महाराज की किडनी की समस्या के बारे में जानकारी मिली और वही सोचकर उन्होंने यह कदम उठाया। पत्र में आरिफ ने लिखा कि आज के नफरत भरे माहौल में संत जैसे लोगों का समाज में मौजूद रहना आवश्यक है। उन्होंने भावुक शब्दों में कहा कि "मैं रहूँ या न रहूँ, लेकिन आप समाज के लिए ज़रूरी हैं। कृपया मेरे इस छोटे से उपहार को स्वीकार करें।"

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