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Up Kiran, Digital Desk: हिंदू परंपरा में पानी को हमेशा से पवित्र माना गया है। जब यह पानी शुद्ध तांबे के बर्तन में रात भर रहता है तो उसमें एक अनोखी शक्ति आ जाती है। आजकल लाखों भक्त और सामान्य लोग भी अपनी सुबह की शुरुआत इसी खास पानी से कर रहे हैं। कई संतों की साधना का अभिन्न अंग बना यह जल अब आम घरों में भी जगह बना रहा है। खास तौर पर प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों के बाद इसके चाहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

दिमाग को मिलती है गज़ब की तेजी

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि तांबे में रखा पानी सिर्फ शरीर नहीं बल्कि बुद्धि को भी जागृत करता है। रात में बर्तन में पानी भरकर रख देने से तांबा अपनी सकारात्मक तरंगें उसमें छोड़ देता है। सुबह खाली पेट इसे पीने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है, कब्ज़ जैसी पुरानी समस्याएं दूर होती हैं और पूरे शरीर में ताजगी का संचार होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है। यही वजह है कि विद्यार्थी और नौकरीपेशा लोग भी अब इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने लगे हैं।

आयुर्वेद और साइंस दोनों दे रहे हरी झंडी

प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में तांबे को सबसे शुद्ध धातु कहा गया है। यह शरीर के अंदर जमा विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में माहिर है। दूसरी तरफ आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि तांबे के संपर्क में आने से पानी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण बढ़ जाते हैं। नतीजा यह होता है कि साधारण पानी एक प्राकृतिक औषधि में बदल जाता है। यही कारण है कि आज डॉक्टर और वैज्ञानिक भी प्लास्टिक या स्टील की जगह तांबे के बर्तन में पानी पीने की सलाह देने लगे हैं।