
कर्नाटक सरकार एक बार फिर मुस्लिम समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक लाभ देने के लिए आरक्षण बढ़ाने की योजना बना रही है। इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के सामने पेश किया गया है। यदि यह प्रस्ताव मंजूरी पा लेता है, तो मुस्लिम समुदाय को फिर से आरक्षण के दायरे में लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
इससे पहले की भाजपा सरकार ने मुस्लिमों को ओबीसी श्रेणी से बाहर करते हुए उन्हें आरक्षण लाभ से वंचित कर दिया था। लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार इस निर्णय को पलटने की दिशा में कदम उठा रही है। माना जा रहा है कि सरकार फिर से मुस्लिम समुदाय को '2बी' श्रेणी के तहत आरक्षण देने की योजना पर विचार कर रही है।
कांग्रेस सरकार का कहना है कि मुस्लिम समुदाय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा है और उन्हें शिक्षा, नौकरी तथा अन्य क्षेत्रों में बराबरी का मौका देने के लिए आरक्षण जरूरी है। सरकार का तर्क है कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत यह कदम वैध है, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को विशेष सुविधाएं देने की अनुमति देता है।
हालांकि, इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो सकता है। विपक्षी दल इस फैसले को तुष्टीकरण की राजनीति बता सकते हैं। इसके बावजूद, सरकार सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि कैबिनेट इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है या नहीं, और यदि मंजूरी मिलती है तो इसका अमल किस तरह किया जाएगा।
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