(पवन सिंह)
उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जो कि सत्ता और मीडिया के बीच सेतुबंध का काम करता है..उसे शासन के एक प्रशिसनिक अधिकारी का गृहण लगा हुआ है....!!!
मुख्यमंत्री की सभी प्रचार योजनाओं को यह प्रशासनिक अधिकारी बजट रोक कर चक्की की तरह पीस कर पिसान (आटा) बना रहा है और आश्चर्यजनक यह है कि यह बंदा माननीय मुख्यमंत्री जी के पीछे भी हर बार खड़ा भी नजर आ रहा है। ये बड़े साहेब सूचना विभाग को एक बेकार विभाग मानते हैं और कहते हैं कि इस विभाग के होने का ही कोई औचित्य नहीं है। यह विभाग ही औचित्यहीन है। छोटे अखबार और मैग्जीन डेढ़ रुपए किलो के भाव वाली हैं जिन्हें विज्ञापन देना भी अपराध है...ऐसा लगता है बाराबंकी में ससुर साहेब के यहां सीबीआई को मिली डायरी में ऐसा ही लिखा था.....। मजेदार बात यह है कि विभाग भी नहीं छोड़ना है और विभागीय काम में लकड़ी भी लगाये रखना है।
साहेब ने प्रेस आतिथ्य के नाम पर पहले तो 10 करोड़ रुपए सरकार को सेरेंडर कर दिए...फिर लगा गलत किया तो छह करोड़ दिए.... पत्रकारों के नाम से साहेब को चिकनपाक्स हो जाता है लेकिन उनके ही प्रेस आतिथ्य के नाम पर दो गाड़ी भांजा लेकर टहलता है...दो गाड़ी घरैतिन कहलाती हैं....दो गाड़ी खुद टहलाते हैं...नौकरवा को जरूरत पड़ती है तो वो भी प्रेस आतिथ्य बजट का मजा मार आता है लेकिन पत्रकारों के नाम पर प्रेस आतिथ्य में वाहन सुविधा नहीं है। नहीं है तो ये भांजा-साली-घरैतिन के नाम पर जो बिल फट रहे हैं वो किस पत्रकार के नाम पर फाड़े जा रहे हैं....अगर माननीय मुख्यमंत्री ने इन लोकभवनिया प्रशासनिक अधिकारी के चाल-चरित्र और चिंतन का संज्ञान न लिया तो ये आम के पेड़ में लगे घुन साबित होंगें। बेहतर है माननीय मुख्यमंत्री जी समय रहते हुए संज्ञान ले लें...।
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