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Up Kiran, Digital Desk: इतिहास की किताबें अक्सर वो पन्ने छिपा लेती हैं जो सबसे रोचक होते हैं। आज हम आपको वैसी ही एक कहानी सुना रहे हैं जो स्कूल की किताबों में नहीं मिलेगी। साल था 1971। पाकिस्तान टूटने की कगार पर था। बांग्लादेश बनने वाला था। पूरा अरब जगत और इस्लामिक देश पाकिस्तान को बचाने में जुट गए थे। अमेरिका अपना सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी भेज चुका था। सऊदी अरब, ईरान, जॉर्डन सब एक स्वर में भारत के खिलाफ थे।

लेकिन इसी काले दौर में एक मुस्लिम देश चुपके से भारत के साथ खड़ा हो गया। नाम था – ओमान।

जी हाँ, वही ओमान जिसके बारे में हम सोचते भी नहीं। उस वक्त सुल्तान कबूस बिन सईद ने साफ कह दिया था – “हम भारत के खिलाफ नहीं जाएंगे।” सऊदी और जॉर्डन वाले भड़क गए। दबाव इतना था कि रिश्ते तक तोड़ने की धमकी दी गई। मगर सुल्तान नहीं डगमगाए। ओमान ने न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र में भारत का साथ दिया बल्कि अपनी बंदरगाहें भी भारतीय जहाजों के लिए खोल दीं।

54 साल बाद वही ओमान फिर सुर्खियों में है। क्योंकि 17-18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहाँ जा रहे हैं। और इस बार सिर्फ पुरानी दोस्ती याद करने नहीं, बल्कि एक बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन करने जा रहे हैं।

वो देश जिसने 1971 में ‘दिल’ से साथ दिया, अब 2025 में ‘डील’ दे रहा है!

इस समझौते के बाद भारतीय कपड़ा, गहने, मशीनरी, दवाइयाँ सब बिना टैक्स के ओमान में बिकेंगे। ओमान की लोकेशन देखिए – अरब सागर और फारस की खाड़ी का दरवाजा। यहाँ भारत पहले से दुकम पोर्ट में मौजूद है। FTA के बाद चीन को तगड़ा झटका लगेगा क्योंकि ओमान में अब भारतीय सामान सस्ता पड़ेगा।

पुणे से ओमान तक का दिल का रिश्ता

ओमान के मौजूदा सुल्तान हैथम बिन तारिक के पिता ने पुणे में पढ़ाई की थी। शाही परिवार भारत को अपना दूसरा घर मानता है। पिछले साल सुल्तान हैथम भारत आए थे। यह उनकी पहली स्टेट विजिट थी। अब मोदी जी का जाना उस यारी को और पक्का करने वाला है।

ओमान में करीब 8 लाख भारतीय रहते हैं। पीएम मोदी उनसे भी मिलेंगे। संदेश साफ है – भारत अपने लोगों को और अपने पुराने दोस्तों को कभी नहीं भूलता।