
Up Kiran , Digital Desk: बॉलीवुड के इतिहास में कई सितारे ऐसे हैं जो कम समय में खूब शोहरत बटोर रहे हैं लेकिन उनकी जिंदगी का अंत हो गया। ऐसी ही एक अदाकारा थी प्रिय राजवंश, जिसका असली नाम वीरा सुंदर सिंह था।
प्रिया राजवंश ने अपने पूरे करियर में सिर्फ 7 फिल्मों में काम किया, लेकिन 'हीर रांझा' और 'हंसते ज़ख्म' जैसी फिल्मों में उनका अभिनय आज भी लोगों की जुबान पर है। उनकी खूबसूरत और अनोखी अदाकारी ने उन्हें इंडस्ट्री में अलग पहचान दिलाई। लेकिन उनकी निजी जिंदगी और मौत का आज भी रहस्य बना हुआ है।
लंदन से बॉलीवुड तक का सफर
प्रिय राजवंश का जन्म एक सरकारी अधिकारी के घर पर हुआ था।
उन्होंने पूरी तरह से अध्ययन से पढ़ाई की और फिर अपने पिता के लंदन पैलेस्ट के बाद रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रमैटिक आर्ट्स (RADA) से अभिनय का प्रशिक्षण लिया।
फिल्मों से दूर उनके परिवार के बावजूद, प्रिया के किरदार में गहरी रुचि थी।
इसी दौरान फिल्म इंडस्ट्री के ऑफर आए और उनकी एक तस्वीर में देव आनंद के भाई चेतन आनंद के हाथ लग गए।
तुलना से शुरू हुआ प्रिया का बॉलीवुड सफर।
चेतन आनंद ने ब्रेक में फिल्में बनाईं
चेतन आनंद ने प्रिया राजवंश को अपनी फिल्म 'हकीकत' में पहला ब्रेक दिया।
फिल्म ने सफलता का स्वाद चखा और प्रिया की किस्मत भी चमका दी।
काम करते-करते चेतन आनंद और प्रिय राजवंश के बीच में उगते बागान।
चेतन आनंद, जो पहले से अलग थे, प्रिया की खूबसूरती के दीवाने हो गए और बिना शादी के दोनों साथ रहने लगे।
हालाँकि चेतन की पहली पत्नी और बेटे इस रिश्ते से खुश नहीं थे, जिससे पारिवारिक तनाव शुरू हो गया था।
चेतन आनंद की वसीयत में मिलाप का हिस्सा
समय के साथ चेतन आनंद ने अपनी संपत्ति में प्रिया राजवंश को भी अपने बेटों के बराबर हिस्सा दे दिया।
चेतन के निधन के बाद प्रिया सो गई और चेतन के मोहल्ले में अकेले रहना शुरू कर दिया।
तीन साल तक वह अपने अकेलेपन से स्कॉचती रथ पर रहीं।
लेकिन जल्द ही उनके जीवन में एक ट्रैक्टर पलटा आया जिसने सबसे पहले चौंका दिया।
रहस्यमयी घटनाओं में हुई मौत
27 मार्च 2000 को खबर आई कि प्रिया राजवंश अब इस दुनिया में नहीं रही।
जांच में खुलासा हुआ कि उनकी डेथ सेंकड डेथ नहीं, बल्कि हत्या थी।
आरोप लगे चेतन आनंद के बेटे केतन आनंद और विवेक आनंद के साथ उनके कर्मचारी।
कहा गया कि वे प्रिया से प्रॉपर्टी का हिस्सा खरीदना चाहते थे।
प्रिया की डायरी में भी इस बात का जिक्र था कि उन पर वसीयत का दबाव बनाया जा रहा था। हालाँकि, सबूतों के अनुसार, अवशेषों के अवशेषों को दफना दिया गया और प्रिय राजवंश की मृत्यु के बाद राज को मौत के घाट उतार दिया गया।
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