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Up Kiran, Digital Desk: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम की लगातार अनदेखी और आयोग के निर्देशों की अवहेलना अब मेरठ के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) सत्य प्रकाश पर भारी पड़ गई है। राज्य सूचना आयुक्त वीरेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें ₹25,000 का जुर्माना लगाया है, जिसकी कटौती सीधे उनके वेतन से की जाएगी। इतना ही नहीं, जब तक यह रकम नहीं वसूल ली जाती, तब तक उनके सभी वित्तीय देयकों पर भी रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है।

सूचना आयोग की अनदेखी बनी सजा की वजह

यह मामला तब सामने आया जब अपीलकर्ता नवल किशोर शर्मा ने राज्य सूचना आयोग से शिकायत की कि उन्हें जनवरी 2024 से मार्च 2024 के बीच आयोग द्वारा लगाए गए दंडों की वसूली से संबंधित जानकारी नहीं दी गई। यह सूचना एडीएम सत्य प्रकाश के अधीन कार्यालय से मांगी गई थी। आयोग ने जब इस याचिका की जांच की, तो पाया कि संबंधित जानकारी RTI अधिनियम के दायरे में आती है और इसे देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

आदेश के बाद भी नहीं दी जानकारी

राज्य सूचना आयोग ने दिसंबर 2024 में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि 15 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी अपीलकर्ता को उपलब्ध कराई जाए। बावजूद इसके एडीएम कार्यालय ने न तो सूचना साझा की और न ही किसी तरह का उत्तर प्रस्तुत किया। इससे नाराज़ आयोग ने अप्रैल 2025 में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया।

राज्य सूचना आयुक्त का सख्त रुख

लगातार आदेशों की अवहेलना को गंभीरता से लेते हुए सूचना आयुक्त ने न केवल आर्थिक दंड लगाया, बल्कि वरिष्ठ कोषाधिकारी मेरठ को निर्देशित किया कि वेतन से कटौती के बाद इसकी जानकारी आयोग को तत्काल भेजी जाए। साथ ही एडीएम सत्य प्रकाश को चेतावनी दी गई है कि यदि आगामी 15 दिनों में अपीलकर्ता को जानकारी नहीं दी जाती, तो उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।

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