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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अहमदाबाद स्थित कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह फैसला बैंक की आर्थिक स्थिति कमजोर होने और बैंकिंग नियामक नियमों के उल्लंघन के चलते लिया गया है। आरबीआई ने कहा कि इस सहकारी बैंक के पास न पर्याप्त पूंजी थी, न ही कमाई की संभावना, और यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम के अंतर्गत आवश्यक शर्तों का पालन भी नहीं कर पा रहा था।

बैंकिंग गतिविधियां बंद, लिक्विडेटर की नियुक्ति की सिफारिश

रिजर्व बैंक ने बताया कि बैंक अब आगे कोई बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकेगा। साथ ही, गुजरात को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार को आदेश दिया गया है कि वे बैंक को पूरी तरह बंद करने के लिए एक लिक्विडेटर (Liquidator) नियुक्त करें।

बैंकिंग कारोबार में रोक के बाद, 16 अप्रैल 2025 से कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक का सभी प्रकार का लेनदेन बंद कर दिया गया है। इसमें नकद जमा, निकासी और डिपॉजिट का रीपेमेंट शामिल है।

जमाकर्ताओं को मिलेगा DICGC से बीमा राशि

लाइसेंस रद्द होने के बाद सबसे बड़ा सवाल जमाकर्ताओं के पैसे को लेकर उठता है। लेकिन राहत की बात यह है कि बैंक के 98.51 प्रतिशत ग्राहकों को जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) के माध्यम से पूरी राशि मिल जाएगी।

DICGC की बीमा सीमा: प्रति जमाकर्ता अधिकतम 5 लाख रुपये

अब तक किया गया भुगतान: 31 मार्च 2024 तक 13.94 करोड़ रुपये ग्राहकों को पहले ही DICGC द्वारा चुकाए जा चुके हैं

RBI ने क्यों लिया यह फैसला?

आरबीआई ने स्पष्ट किया कि कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह फैसला जमाकर्ताओं और जनता के हित में लिया गया है। बयान में कहा गया:

"बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी कमजोर है कि यह अपने सभी जमाकर्ताओं को उनकी रकम लौटा पाने में असमर्थ है। ऐसे में बैंकिंग कारोबार जारी रखना ग्राहकों के हितों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।"

क्या होता है लाइसेंस रद्द होने का मतलब?

लाइसेंस रद्द होते ही बैंक:

नया खाता नहीं खोल सकता

कोई जमा स्वीकार नहीं कर सकता

कोई लोन या एडवांस नहीं दे सकता

पुराने जमा की वापसी नहीं कर सकता

बैंक का अस्तित्व केवल कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक रहेगा, जब तक कि लिक्विडेटर उसकी संपत्ति को बेचकर ग्राहकों और अन्य देनदारों को उनका पैसा वापस नहीं कर देता।