_1645277111.jpg)
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Flexible Inflation Targeting - FIT) ढांचे पर वित्तीय वर्ष 2027 (FY27) से आगे बढ़ने की ओर झुकाव है। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया है कि केंद्रीय सरकार का मानना है कि वर्तमान ढांचे में बदलाव की आवश्यकता नहीं है, खासकर तब जब खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation), जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index - CPI) द्वारा मापा जाता है, 4 प्रतिशत के लक्ष्य और 2 प्रतिशत के बैंड (यानी 2-6% के बीच) के भीतर बनी हुई है।
मौजूदा ढांचा और उसकी वैधता:यह लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा 2016 में अपनाया गया था और यह RBI को मध्यम अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति को 4% पर बनाए रखने का कार्य सौंपता है। यह ढांचा मूल रूप से पांच साल की अवधि (2016-2021) के लिए निर्धारित किया गया था, और बाद में सरकार द्वारा इसे अगले पांच वर्षों (2021-2026) के लिए नवीनीकृत किया गया था। वर्तमान ढांचा मार्च 2026 तक वैध है, और इसके बाद के लिए सरकार की सोच स्पष्ट है।
सरकार का रुख: ‘कोई समीक्षा जरूरी नहीं:सूत्रों के अनुसार, एक प्रमुख कारण यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्यों के दायरे में अच्छी तरह से काम कर रही है। एक सूत्र ने कहा, "मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा अगले साल मार्च तक वैध है। यह सोच है कि समीक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम बैंड के भीतर अच्छी तरह से हैं।" यह बयान इस ओर इशारा करता है कि सरकार वर्तमान मौद्रिक नीति की दिशा से संतुष्ट है और इसमें बड़े बदलाव की संभावना कम है।
क्या बदलेगा मौद्रिक नीति का लक्ष्य? गैर-खाद्य मुद्रास्फीति पर चर्चा
हालांकि, इस बात की भी चर्चा है कि क्या मौद्रिक नीति को केवल गैर-खाद्य मुद्रास्फीति को लक्षित करना चाहिए। खाद्य पदार्थ, जिनकी कीमतें अक्सर अस्थिर होती हैं, कुल मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि केवल गैर-खाद्य मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने से मूल्य स्थिरता को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। हालांकि, सरकारी सूत्रों के बयान से लगता है कि फिलहाल इस तरह के बड़े बदलाव की कोई तत्काल योजना नहीं है।
अर्थव्यवस्था के लिए निहितार्थ:मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे का स्थायित्व आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। यह RBI को ब्याज दरों जैसे मौद्रिक नीति उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करता है ताकि मूल्य स्थिरता बनाए रखी जा सके। वर्तमान ढांचा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है, जो निवेशकों और आम जनता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। FY27 से मौजूदा ढांचे को जारी रखने का सरकार का निर्णय आर्थिक नीतियों में निरंतरता का संकेत देता है।
--Advertisement--