Up kiran,Digital Desk : यहां कच्चे तेल की गिरती कीमतों और जेपी मॉर्गन की ताजा रिपोर्ट पर आधारित एक नेचुरल और कन्वर्सेशनल स्टाइल में लिखा गया आर्टिकल है। इसे पढ़कर आपको तेल के खेल की असली हकीकत समझ आएगी।
कच्चे तेल (Crude Oil) के बाजार से एक ऐसी खबर आ रही है, जो कागजों पर तो बहुत सुकून देने वाली लगती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही हो सकती है। अगर आप सोच रहे हैं कि आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल सस्ता होने वाला है, तो आपको यह रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए। ग्लोबल फाइनेंशियल फर्म 'जेपी मॉर्गन' (JPMorgan) ने एक चौंकाने वाला अनुमान लगाया है।
उनका कहना है कि मार्च 2027 तक कच्चे तेल की कीमतें औंधे मुंह गिर सकती हैं। अभी जो तेल 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है, वो गिरकर 30 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है। यानी सीधे आधा!
आखिर इतना सस्ता क्यों हो जाएगा तेल?
आसान भाषा में समझें तो यह सब 'मांग और आपूर्ति' (Demand and Supply) का खेल है। दुनिया भर में तेल का उत्पादन इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि उसे खरीदने वाले कम पड़ जाएंगे।
रिपोर्ट कहती है कि 2025 में दुनिया में तेल की खपत तो बढ़ेगी (रोजाना करीब 10.5 करोड़ बैरल), लेकिन तेल निकालने की रफ़्तार उससे कहीं ज्यादा तेज होगी। अनुमान है कि 2025 और 2026 में तेल की सप्लाई, मांग के मुकाबले तीन गुना तेजी से बढ़ेगी।
इसमें सबसे बड़ा रोल उन देशों का है जो 'ओपेक प्लस' (OPEC+) समूह का हिस्सा नहीं हैं। ये देश अब धड़ल्ले से तेल निकाल रहे हैं। जो प्रोजेक्ट्स पहले महंगे माने जाते थे, अब वहां से भी जमकर उत्पादन हो रहा है। नतीजा यह है कि बाजार में तेल की 'बाढ़' आने वाली है।
गोदाम लबालब भरे हुए हैं
हालत यह है कि तेल का भंडार (Inventory) अभी से ही ओवरफ्लो हो रहा है। इस साल दुनिया के तेल भंडारों में रोजाना 15 लाख बैरल की बढ़ोतरी हुई है। चीन के गोदाम भरे पड़े हैं और समुद्र में तैरते जहाजों में भी तेल स्टोर किया जा रहा है। जब माल इतना ज्यादा होगा, तो दाम गिरना तय है। अनुमान है कि 2027 में तेल का औसत भाव 42 डॉलर रह सकता है, और कभी-कभी तो यह 30 डॉलर तक लुढ़क सकता है।
भारत के लोगों के लिए कड़वा सच
अब सबसे अहम सवाल— क्या हमें पेट्रोल-डीजल सस्ता मिलेगा?
भारत कच्चे तेल का बहुत बड़ा आयातक है। जब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता होता है, तो भारत सरकार और हमारी तेल कंपनियों का मुनाफा आसमान छूने लगता है। उन्हें सस्ता कच्चा माल मिलता है। लेकिन, पिछले दो-तीन सालों का ट्रेंड देखें तो आम जनता (Customers) को इसका सीधा फायदा शायद ही मिले।
हम सबने देखा है कि पिछले दो सालों में कई बार क्रूड ऑयल के दाम गिरे, लेकिन पेट्रोल पंप पर कीमतें टस-से-मस नहीं हुईं। डीजल-पेट्रोल के दाम ऊंचे ही बने रहे। ऐसे में, जेपी मॉर्गन की यह भविष्यवाणी भारत की 'बैलेंस शीट' और तेल कंपनियों के शेयर होल्डर्स के लिए तो अच्छी खबर है, लेकिन एक आम बाइक या कार चलाने वाले को इससे कितनी राहत मिलेगी, यह कहना मुश्किल है। सरकार और कंपनियां इस गिरती कीमत का इस्तेमाल अपने पुराने घाटे की भरपाई या राजस्व बढ़ाने के लिए कर सकती हैं।
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