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Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर भारतीय संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने का जोरदार आह्वान किया है।

नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, भागवत ने तर्क दिया कि भारत हमेशा से ही धर्मनिरपेक्ष रहा है और 'समाजवादी' शब्द भी अनावश्यक है, क्योंकि 'यह शब्द न होने पर भी भारत समाजवादी है'। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन शब्दों को हटाने से भारतीय संविधान की 'मूल भावना' बहाल होगी।

ये दोनों शब्द वर्ष 1976 में तत्कालीन आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना में जोड़े गए थे।

भागवत ने स्पष्ट किया कि आरएसएस हमेशा से इस राय का रहा है कि इन शब्दों को जोड़ने से प्रस्तावना का मूल अर्थ बदल गया है। उनका मानना है कि संविधान की मूल संरचना और भावना में इन शब्दों की आवश्यकता नहीं थी।