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Up Kiran, Digital Desk: क्या बिहार की राजनीति में शिक्षा बन पाएगी बदलाव की धुरी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी दरभंगा में ‘शिक्षा संवाद’ के जरिए इसी सवाल का जवाब खोजने निकले हैं। यह कार्यक्रम केवल एक जनसभा भर नहीं बल्कि कई सियासी संदेशों और रणनीतियों से भरा एक बड़ा दांव है — खासकर तब जब बिहार में महागठबंधन फिर से केंद्र की डबल इंजन सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।

'शिक्षा संवाद': राहुल गांधी की नई सियासी पहल

दरभंगा में होने वाला यह संवाद कांग्रेस की ‘बदली हुई’ राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। राहुल गांधी 62 राष्ट्रीय नेताओं के साथ यहां पहुंचेंगे — यानी साफ है कि कांग्रेस इसे केवल एक क्षेत्रीय कार्यक्रम नहीं बल्कि राष्ट्रीय असर वाला आयोजन बनाना चाहती है। इसका उद्देश्य है शिक्षा की बदहाली को राष्ट्रीय बहस में लाना, युवाओं महिलाओं और वंचित वर्गों को एकजुट करना और केंद्र सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल उठाना।

महागठबंधन का बड़ा एजेंडा: नौकरी पलायन और आरक्षण

इस कार्यक्रम में कांग्रेस अकेली नहीं है। राजद और वाम दल पहले से ही नौकरी और पलायन जैसे मसलों पर सरकार को घेरते रहे हैं। अब कांग्रेस 'शिक्षा' को फ्रंटलाइन मुद्दा बनाकर उन प्रयासों को मजबूती देने जा रही है।

राहुल गांधी का फोकस आरक्षण के मुद्दे पर भी रहेगा। वह 50% की सीमा को बढ़ाने की वकालत करेंगे और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने की मांग उठाएंगे। यह सीधे-सीधे युवा वर्ग खासकर एससी एसटी और ओबीसी तबके को जोड़ने की कोशिश है।

 

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