Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा इलेक्शन से पहले कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। बीते पच्चीस सालों से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लालू प्रसाद यादव के प्रभाव में रहने वाली कांग्रेस अब अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने और RJD की छाया से बाहर निकलने की तैयारी कर रही है।
इसके लिए पार्टी ने कई कदम उठाए हैं, जैसे राहुल गांधी द्वारा कृष्णा अल्लावरु को राज्य प्रभारी और दलित नेता राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना, साथ ही कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता को बिहार में सक्रिय करने की जिम्मेदारी देना।
कांग्रेस का मानना है कि RJD के साथ गठबंधन में उसे सम्मान नहीं मिलता और उसकी छवि को नुकसान पहुंच रहा है। दिल्ली में हुई एक बैठक में बिहार के नेताओं ने इस बात का दर्द जाहिर किया कि RJD कांग्रेस को गंभीरता से नहीं लेती। राहुल गांधी ने कहा कि सम्मान कमाना पड़ता है और यदि कांग्रेस अपनी ताकत बढ़ाए, तो सहयोगी दल खुद सम्मान देंगे। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सहयोगी दलों से शिकायतों पर बात करने का आश्वासन दिया।
राहुल की पार्टी की रणनीति में 'MBC प्लान' अहम है। इसका मतलब है अत्यंत पिछड़ी जातियों (Most Backward Classes) पर फोकस करना। बिहार में ओबीसी (27.13%) और अति पिछड़ा वर्ग (36.01%) की बड़ी आबादी है। यादव (14%) पर RJD और कोइरी-कुर्मी (10%) पर नीतीश कुमार की पकड़ है।
नीतीश के वोटबैंक में सेंध लगाना चाहती है कांग्रेस
ऐसे में कांग्रेस बाकी अति पिछड़ी जातियों और गैर-यादव OBC (जैसे मल्लाह, राजभर, नाई) को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। साथ ही दलित वोटों (जो बिहार की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं) को साधने के लिए राजेश कुमार को अध्यक्ष बनाया गया है। नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के अंतिम चरण में होने का फायदा उठाकर कांग्रेस उनके वोटबैंक में सेंध लगाना चाहती है।
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