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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक शिक्षक की कविता इन दिनों सुर्खियों में है। शिक्षक रजनीश गंगवार की कांवड़ यात्रा पर लिखी गई कविता सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवादों में आ गई। कई लोगों ने इसे "धर्म विरोधी" बताते हुए उनकी आलोचना की, जिसके बाद गंगवार ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगते हुए सफाई दी है।

रजनीश गंगवार ने एक वीडियो संदेश में कहा, "मैं न तो किसी धर्म के खिलाफ हूं और न ही सरकार का विरोधी हूं। मेरी कविता का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। अगर किसी को मेरी बात से कष्ट पहुंचा है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।"

गंगवार ने आगे यह भी कहा कि कविता उनके निजी विचारों पर आधारित थी, और उसका उद्देश्य केवल सामाजिक दृष्टिकोण से कुछ मुद्दों को उजागर करना था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

यह मामला तब तूल पकड़ गया जब कुछ संगठनों ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने अब तक उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की है।

सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे को लेकर दो हिस्सों में बंटे नजर आए—कुछ ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताया।

इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक आस्था के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। रजनीश गंगवार की माफी से मामला शांत होने की उम्मीद की जा रही है।

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