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Up Kiran, Digital Desk: भोपाल एम्स में एक ऐसा प्रकरण सामने आया है जिसने मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉक्टर बनने का सपना संजोए एक युवक ने एडमिशन पाने के लिए अनोखा शातिरपन दिखाया, लेकिन सच्चाई ज़्यादा देर छिप न सकी। अब यह छात्र जेल की सलाखों के पीछे है और पुलिस तफ्तीश में जुटी हुई है।
बार-बार असफलता और बढ़ता दबाव
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के किशनपुर गांव का रहने वाला 22 वर्षीय लवकुश प्रजापति 2021 में 12वीं पास करने के बाद से लगातार नीट परीक्षा में किस्मत आजमा रहा था। मगर चार वर्षों में हर बार नाकामी हाथ लगी। परिवार का दबाव और असफलता का बोझ इतना बढ़ गया कि उसने गलत राह चुन ली।
फोटोशॉप से बनाई नकली सफलता
लवकुश ने मेडिकल सीट हासिल करने के लिए जालसाजी का सहारा लिया। उसने अपने दोस्त का अलॉटमेंट लेटर सोशल मीडिया से निकालकर फोटोशॉप में उसमें फेरबदल कर दिया। रोल नंबर, अंक और रैंक सब कुछ बदलकर उसने खुद को नीट परीक्षा में 284वीं रैंक लाने वाला उम्मीदवार दिखा दिया। इतना ही नहीं, उसने दस्तावेज़ में 630 अंक भी दर्ज कर दिए।
भोपाल एम्स में हुआ खुलासा
24 अगस्त को लवकुश मुंबई से भोपाल आया और रजिस्ट्रार कार्यालय में एडमिशन डॉक्यूमेंट्स जमा कर दिए। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा, लेकिन जाँच के दौरान अधिकारियों को संदेह हुआ। जब जानकारी मिलान की गई तो पाया गया कि 284वीं रैंक वाला छात्र तो पहले ही एम्स भुवनेश्वर में दाख़िला ले चुका है। यहीं से उसकी साजिश का पर्दाफाश हो गया।
पुलिस के हवाले
फर्जीवाड़े की पुष्टि होते ही एम्स प्रबंधन ने लवकुश को तुरंत पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल बाग सेवनिया थाना पुलिस ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है।
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