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उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने प्राचीन कुओं को पुनर्जनन और संरक्षण के लिए व्यापक अभियान शुरू करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत कुओं का सत्यापन, सफाई और रखरखाव किया जाएगा, ताकि इन्हें फिर से उपयोगी बनाया जा सके। कुएं न केवल मीठे पानी के स्रोत रहे हैं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, आधुनिक जलापूर्ति व्यवस्थाओं के चलते कई कुएं उपेक्षा और अतिक्रमण का शिकार हो गए हैं।

कुओं को पुनर्जनन की योजना

CM ने बरसात से पहले कुओं की व्यापक सफाई और जीर्णोद्धार का आदेश दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के जरिए कुओं को पुनर्जनन किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य स्वच्छ जल के प्राकृतिक स्रोतों को बचाना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है। धामी ने कहा, "कुएं हमारी सभ्यता का अहम हिस्सा हैं। हमारा प्रयास है कि इन्हें फिर से उपयोग में लाया जाए, जिससे जल संरक्षण को बल मिले।"

सारा के तहत होगा जल संरक्षण

प्रदेश सरकार की स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (सारा) जल स्रोतों के संरक्षण में अहम भूमिका निभा रही है। जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत 6,350 सूखे जल स्रोतों को चिह्नित किया गया, जिनमें से 929 महत्वपूर्ण स्रोतों का उपचार पूरा हो चुका है। मैदानी क्षेत्रों में भूजल रिचार्ज के लिए 297 रिचार्ज शाफ्ट बनाए गए हैं। पिछले साल विभिन्न जल संचय संरचनाओं के जरिए 3.21 मिलियन घन मीटर वर्षा जल का रिचार्ज किया गया।