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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर है। खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) जून 2025 में गिरकर 2.10 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो पिछले छह सालों का सबसे निचला स्तर है। यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक दायरे में है और यह दर्शाता है कि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता आ रही है।

क्या होता है खुदरा महंगाई? खुदरा महंगाई, जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के रूप में भी जाना जाता है, यह मापता है कि उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समय के साथ कितना बदलाव आया है। इसमें भोजन, ईंधन, आवास, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें शामिल होती हैं।

गिरावट के कारण: यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी और ईंधन की कीमतों में स्थिरता के कारण हुई है। सब्जियों, फलों और दालों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में नरमी देखने को मिली है, जिससे आम आदमी को बड़ी राहत मिली है।

आर्थिक प्रभाव: महंगाई में गिरावट से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ती है, क्योंकि उन्हें समान वस्तुओं और सेवाओं के लिए कम भुगतान करना पड़ता है। यह अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग को बढ़ावा दे सकता है और निवेश के लिए भी एक अनुकूल माहौल बना सकता है। आरबीआई के लिए भी यह एक सकारात्मक संकेत है, जो अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय महंगाई दर पर बारीकी से नजर रखता है। यह दर आरबीआई के 4% (+/- 2%) के लक्ष्य के काफी करीब है।

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