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Up Kiran, Digital Desk: 16 करोड़ रुपये की लागत से बनी गड़वार-पियारिया सड़क (बलिया) जो हाल ही में खोली गई थी, अब पहले ही बारिश में जगह-जगह धंसने लगी है। महज पांच किलोमीटर के इस मार्ग पर हालात इतने खराब हो गए हैं कि करीब दस स्थानों पर पैबंद लगाने और दूसरी परत डालने की जरूरत पड़ी है।

यह सड़क लाखों की आबादी और 20 से अधिक गांवों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवन रेखा थी, लेकिन अब यह खराब निर्माण और गुणवत्ता की पोल खोल रही है।

सरकारी योजनाओं पर उठते सवाल

जब भी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण की योजनाएं शुरू करती है, तो दावा किया जाता है कि इन सड़कों से ग्रामीणों की जिंदगी आसान होगी, उनका यातायात बेहतर होगा और पूरे क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन गड़वार-पियारिया मार्ग इसका ताजे उदाहरण बन गया है। पिछले साल मार्च में इस सड़क के निर्माण के लिए शासन ने 16 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी। गांववालों ने उम्मीद जताई थी कि अब उनकी परेशानियां कम हो जाएंगी। लेकिन यह उम्मीद ज्यादा दिन टिक नहीं पाई। पहली ही बारिश में सड़क में गड्ढे और धंसाव देखे गए।

ग्रामीणों का गुस्सा और निराशा

ग्रामीणों में सड़क के खराब निर्माण को लेकर नाराजगी साफ देखी जा सकती है। सिहांचवर गांव के राजकुमार वर्मा कहते हैं, "हमें कई सालों से इस सड़क का इंतजार था, लेकिन आज जो स्थिति है, उससे निराशा ही हाथ लगी है।" वहीं, एमफार्मा के छात्र सुनील कुमार भी इस समस्या को लेकर दुखी हैं। वह कहते हैं, "चार साल से इस सड़क का इंतजार कर रहा था, लेकिन अब जो हालात हैं, उससे पढ़ाई में भी दिक्कत हो रही है।"

जिम्मेदारों की लापरवाही पर सवाल

सड़क की खराब हालत और निर्माण में ढिलाई ने यह साफ कर दिया है कि जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते जनता को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह सड़क इतने खराब हालात में पहुंच गई है।

गड़वार से पियारिया मार्ग का महत्व केवल इस वजह से नहीं है कि यह दस से अधिक गांवों को ब्लॉक मुख्यालय से जोड़ता है, बल्कि इस सड़क का उपयोग किसान भी करते हैं, जो सब्जी बाजार तक पहुंचने के लिए इसी रास्ते पर निर्भर हैं। साथ ही, सैकड़ों छात्र रोजाना पढ़ाई के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।

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