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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में ग्रामीण इलाकों की शक्ल-सूरत बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम अब अपने अंजाम की ओर बढ़ रहा है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से राज्य भर में गांवों को शहरों से जोड़ने वाले सड़क और पुल परियोजनाओं का निर्माण तेजी से पूरा हो रहा है। इन योजनाओं ने जहाँ गांवों की दूरी कम की है, वहीं स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा दी है।

गुरुवार को ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा जारी प्रगति रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने कुल 2025 ग्रामीण सड़कों को मंजूरी दी थी। इनमें से 1859 सड़कें अब तक बनकर तैयार हो चुकी हैं। इन सड़कों की कुल लंबाई 5254 किलोमीटर से अधिक है, जिसमें करीब 4822 किलोमीटर निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। इसी तरह, 1235 पुलों के निर्माण लक्ष्य में से अब तक 910 पुल बन चुके हैं, जबकि शेष 325 पर काम चल रहा है। विभाग का दावा है कि इन अधूरे परियोजनाओं को कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।

नालंदा ने रचा रिकॉर्ड

राज्य के जिलों में नालंदा सबसे आगे है। यहाँ स्वीकृत 214 सड़कों में से 199 पूरी हो चुकी हैं। अब तक 370 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण मार्ग बनकर तैयार हो गए हैं, जबकि लक्ष्य 396 किलोमीटर का है। पुल निर्माण में भी जिले का प्रदर्शन बेहतर है, जहाँ 67 में से 59 पुल पूरे हो चुके हैं।

इसके साथ ही गया जिले की स्थिति भी उत्साहजनक रही। यहाँ 129 स्वीकृत सड़कों में से 120 का निर्माण पूरा है। 395 किलोमीटर की योजना में अब तक करीब 366 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। पुल निर्माण में भी जिले ने 57 योजनाओं में से 46 को पूरा कर लिया है।

राजधानी भी पीछे नहीं

पटना जिले में ग्रामीण संपर्क सड़कों का काम तेजी से हुआ है। यहाँ 167 सड़क योजनाओं को मंजूरी मिली थी, जिनमें से 157 पूरी कर ली गई हैं। कुल 364 किलोमीटर में से लगभग 330 किलोमीटर मार्ग तैयार हैं। जिले में प्रस्तावित 54 पुलों में से 46 बनकर उपयोग के लिए तैयार हो चुके हैं।

अन्य जिलों का प्रदर्शन

अन्य जिलों में भी परियोजनाएँ तेजी से पूरी हुई हैं। औरंगाबाद में 244 किलोमीटर, दरभंगा में 236 किलोमीटर, पूर्वी चंपारण में 231 किलोमीटर, मुंगेर में 203 किलोमीटर, रोहतास में 176 किलोमीटर, जहानाबाद में 170 किलोमीटर, सीतामढ़ी में 151 किलोमीटर और मुजफ्फरपुर में 140 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का काम पूरा हो चुका है। वहीं, जमुई, मधुबनी, समस्तीपुर, गोपालगंज, किशनगंज और नवादा में भी सड़क निर्माण लगभग पूरा होने की स्थिति में है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली नई दिशा

विशेषज्ञ बताते हैं कि बेहतर सड़क नेटवर्क से गाँवों तक बाजार की पहुँच आसान हुई है। कृषि उत्पाद अब तेजी से शहरों तक पहुँच रहे हैं। बच्चों की शिक्षा, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार के अवसरों पर भी इस नेटवर्क का असर साफ दिखाई दे रहा है।

कुल मिलाकर, यह परियोजना बिहार की ग्रामीण संरचना को बदलने वाली साबित हो रही है। जैसे-जैसे बाकी निर्माण कार्य भी पूरे होंगे, ग्रामीण बिहार विकास की रफ्तार को और तेज़ी से पकड़ता नजर आएगा।