
Up Kiran, Digital Desk: ईरान के परमाणु ठिकानों पर कल हुए अमेरिकी हमले ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम की कई देशों द्वारा आलोचना भी की जा रही है। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के मद्देनजर बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में भी इसकी झलक दिखी। साथ ही, अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी रूस और चीन ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया। रूस, चीन और पाकिस्तान ने 15 सदस्यीय परिषद के समक्ष एक मसौदा पेश किया, जिसमें पश्चिम एशिया में तत्काल युद्ध विराम की मांग की गई।
रूस और चीन ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत फू कोंग ने कहा कि पश्चिम एशिया में बल प्रयोग से शांति स्थापित नहीं की जा सकती। फिलहाल, इसे बातचीत और चर्चा के जरिए ही सुलझाया जा सकता है। ईरानी परमाणु मुद्दे पर कूटनीति का रास्ता अभी खत्म नहीं हुआ है। साथ ही, शांति का रास्ता अभी भी खुला है।
रूस के यूएन राजदूत वसीली नेबेजिया ने इस हमले की तुलना 2003 के इराक युद्ध से की। उन्होंने कहा कि एक बार फिर हमें अमेरिका की काल्पनिक कहानियों पर विश्वास करने के लिए कहा जा रहा है। इसका नतीजा पश्चिम एशिया के लाखों लोगों को भुगतना पड़ेगा। इससे साबित होता है कि अमेरिका ने अतीत से कोई सबक नहीं सीखा है, रूस ने भी आलोचना की।
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बैठक की शुरुआत में कहा था कि ईरान के परमाणु संयंत्र पर अमेरिका का हमला एक खतरनाक मोड़ है। हमें इस संघर्ष को रोकने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर तुरंत चर्चा करनी चाहिए।
यूएन में अमेरिका की कार्यवाहक राजदूत डोरोथी शिया ने कहा कि अब निर्णायक कार्रवाई का समय आ गया है। उन्होंने यूएन सुरक्षा परिषद से भी अपील की कि वह ईरान से कहे कि वह इजरायल को नष्ट करने और परमाणु बम बनाने के अपने प्रयासों को रोके। उन्होंने यह भी दावा किया कि ईरान लंबे समय से अपने परमाणु कार्यक्रम को छिपा रहा है।
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