
Up Kiran, Digital Desk: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़े पैमाने पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा इन कंपनियों को ₹1200 करोड़ से अधिक के कर्ज धोखाधड़ी मामले में 'धोखाधड़ी' (Fraud) घोषित करने के बाद की गई है।
ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom), रिलायंस टेलीकॉम (RTL) और रिलायंस इन्फ्राटेल (RITL) के परिसरों पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत तलाशी ली। यह छापेमारी इन कंपनियों द्वारा लिए गए ऋणों में कथित अनियमितताओं और उनके दुरुपयोग की जांच का हिस्सा है।
क्या है पूरा मामला? स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 2020 में ही इन खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया था। आरोप है कि ₹1200 करोड़ से अधिक के ऋण का भुगतान नहीं किया गया और इन ऋणों का कथित तौर पर अन्यत्र उपयोग किया गया, जिससे बैंक को बड़ा नुकसान हुआ। बैंक द्वारा धोखाधड़ी घोषित किए जाने के बाद ही ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी।
ईडी की जांच का मुख्य फोकस यह पता लगाना है कि क्या ऋण के पैसे को कथित रूप से कहीं और डायवर्ट किया गया था और क्या इससे मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। ईडी उन सभी लेनदेन और संपत्तियों की जांच कर रही है जो इन ऋणों से संबंधित हो सकते हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब अनिल अंबानी या उनकी कंपनियां ईडी की जांच के दायरे में आई हैं। अनिल अंबानी खुद भी 2020 में यस बैंक से जुड़े एक अलग मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के सामने पेश हो चुके हैं।
अनिल अंबानी की कंपनियां पिछले कुछ समय से वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं और उनकी कई कंपनियां दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। यह ताजा छापेमारी अनिल अंबानी समूह के लिए एक और बड़ा झटका मानी जा रही है और आने वाले समय में इस मामले में कई और खुलासे होने की संभावना है।
--Advertisement--