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भोपाल (04 जुलाई 2025) — सैफ अली खान के करीबी परिवार को हाल ही में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने 30 जून 2025 को 25 साल पहले ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए उत्तराधिकार (successor) संबंधी आदेश को रद्द कर दिया और मामले को पुनः ट्रायल कोर्ट में आने का निर्देश दिया  ।

यह विवाद उस पुराने मुकदमे से जुड़ा है, जिसमें नवाब हामिदुल्लाह खान (बोपाल के अंतिम नवाब) की संपत्तियों की हिस्सेदारी सवाल में थी। शुरुआती ट्रायल कोर्ट ने सैफ अली खान, उनकी बहनों और मां को उनकी दादी साजिदा सुलतान की ओर से उत्तराधिकारी माना था, लेकिन यह आदेश जुलाई 1999 में दे दिया था  ।

उच्च न्यायालय ने अब स्पष्ट किया है कि यह ज़मीन और मकान निजी तौर पर विभाज्य हैं — इन्हें केवल राजसी उत्तराधिकार से नहीं बाँटा जा सकता। इसी कारण कोर्ट ने मामले को नए सिरे से ट्रायल कोर्ट के समक्ष भेजा है ताकि मुस्लिम निजी कानून (Shariat Act 1937) के अनुसार वित्तीय हिस्सेदारी और विभाजन नये तरीके से तय किया जा सके  ।

न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट से एक वर्ष के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है, जिससे यह विवाद लंबित न रहे  ।

इस मामले का मूल्य सिर्फ विधिक दृष्टि से नहीं है, बल्कि यह सैफ अलि खान के परिवार के 15000 करोड़ रुपये से अधिक के अंश से जुड़ा है, जिसमें भोपाल के प्रतिष्ठित फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबाह पैलेस, कोहेफिजा और अन्य संपत्तियां शामिल हैं  ।

रेडिट पर लोगों ने इस फैसले को एक उचित प्रक्रिया के रूप में देखा:

> “The matters need to be remanded back to the trial Court…”  

 

कुछ उपयोगकर्ताओं ने यह भी बताया:

“Saif Ali Khan’s plea … was dismissed … the actor may lose rights to the same.”  

 

कुल मिलाकर, मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को एक कानूनी भूल मानते हुए उसे खारिज कर दिया है और इसे नए सिरे से उचित कानून आधारित निर्णय के लिए वापस भेजा है। सैफ अली खान के परिवार को अब वास्तविक हिस्सेदारी को साबित करने और न्यायालय में मजबूती से प्रस्तुत करने की चुनौती का सामना करना होगा।

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