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Up Kiran, Digital Desk: भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते कितने भी तनाव भरे क्यों न हों, लेकिन जब बात इंसानियत की आती है, तो भारत हमेशा एक कदम आगे रहता है। हाल ही में भारत ने कुछ ऐसा ही किया है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। भारत ने पाकिस्तान को एक-दो नहीं, बल्कि तीन बार बाढ़ की चेतावनी भेजकर एक बड़ी तबाही से बचाया है।

और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि भारत ने यह मदद उस समझौते के टूटने के बावजूद की है, जिसके तहत यह जानकारी साझा की जाती थी।

क्या है पूरा मामला?

पिछले कुछ दिनों में हिमाचल प्रदेश और दूसरे पहाड़ी इलाकों में बहुत भारी बारिश हुई। इस वजह से सतलुज और रावी जैसी नदियों का जलस्तर अचानक बहुत तेजी से बढ़ गया। ये नदियाँ भारत से होकर पाकिस्तान की ओर जाती हैं। भारत को पता था कि पानी का यह तेज बहाव कुछ ही घंटों में पाकिस्तान में भारी तबाही मचा सकता है।

बिना देर किए, भारतीय अधिकारियों ने मानवीय आधार पर पाकिस्तान को इस आने वाले खतरे के बारे में सूचित किया।

क्यों है यह मदद इतनी खास?

यह मदद इसलिए बहुत खास है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर 1960 में एक समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) कहते हैं। इस संधि के तहत दोनों देश बाढ़ जैसी स्थितियों की जानकारी एक-दूसरे को देते हैं।

लेकिन, पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के असहयोगी रवैये के कारण भारत ने इस 64 साल पुरानी संधि को एकतरफा निलंबित (suspend) कर दिया है। यानी, तकनीकी रूप से भारत अब यह जानकारी साझा करने के लिए बाध्य नहीं था।

समझौता टूटा, पर इंसानियत का रिश्ता नहीं

संधि निलंबित होने के बावजूद, भारत ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा। जैसे ही नदियों में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर गया, भारत ने इंसानियत के नाते पाकिस्तान को सूचित किया। सूत्रों के मुताबिक, भारत की इस समय पर दी गई जानकारी की वजह से पाकिस्तानी अधिकारियों को निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का मौका मिल गया।

भारत ने क्यों तोड़ा था समझौता?

भारत ने यह कदम इसलिए उठाया था क्योंकि पाकिस्तान, भारत की किशनगंगा और रातले जैसी पनबिजली परियोजनाओं (hydroelectric projects) के डिजाइन पर बेवजह आपत्ति जता रहा था और सहयोग नहीं कर रहा था। बार-बार बातचीत की कोशिश नाकाम होने के बाद भारत को यह सख्त कदम उठाना पड़ा।

भारत अपनी विदेश नीति में मानवीय मूल्यों को कितना ऊपर रखता है। यह कदम दुनिया को यह संदेश भी देता है कि भारत के लिए राजनीतिक मतभेदों से कहीं बढ़कर इंसानी जानों की कीमत है।

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