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Up kiran,Digital Desk : ये सिर्फ वादे नहीं थे, बल्कि एक खौफनाक जाल था जो झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में बिछाया गया था। इस जाल में फंसे 27 मासूम बच्चे, जिन्हें अच्छी शिक्षा का सपना दिखाकर तस्करी के जरिए सीधे नेपाल पहुंचा दिया गया। मामला तब और भी संगीन हो गया जब यह आरोप लगा कि बच्चों का धर्म परिवर्तन कराने की भी कोशिश की गई।

कैसे खुला यह सनसनीखेज मामला?

इस पूरे हैवानियत के रैकेट का पर्दाफाश तब हुआ, जब तस्करी के लिए ले जाए गए 27 बच्चों में से दो किसी तरह तस्करों के चंगुल से भाग निकले। जब वे वापस अपने गांव पहुंचे, तो उन्होंने अपने माता-पिता को जो आपबीती सुनाई, उसे सुनकर किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक जाए।

एक गांव से 11 बच्चे गायब

बच्चों की कहानी सुनते ही परिवार वालों ने पुलिस से संपर्क किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक (SP) अमित रेणु ने फौरन एक जांच टीम बनाकर उन बच्चों के गांव भेजी। वहां जाकर जो पता चला, वो और भी चौंकाने वाला था। पुलिस को जानकारी मिली कि सिर्फ यही दो बच्चे नहीं, बल्कि उसी गांव के 11 और बच्चों को इसी तरह बहला-फुसलाकर नेपाल ले जाया गया है।

5 बच्चे अब भी नेपाल में, प्रशासन जुटा वापसी में

पुलिस की सक्रियता के बाद तस्करी का शिकार हुए 4 और बच्चे बुधवार को वापस लौट आए हैं। हालांकि, उस गांव के 5 बच्चे अभी भी नेपाल में ही फंसे हुए हैं। जिला प्रशासन उन्हें सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है।

पुलिस अधीक्षक अमित रेणु ने बताया कि इस मामले में FIR दर्ज कर ली गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जिले के दूसरे हिस्सों से भी 16 और बच्चों को इसी तरह ले जाने की जानकारी मिली है, लेकिन उन मामलों में अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं आई है, जिसकी जांच की जा रही है।

फिलहाल पुलिस इस पूरे नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ज्यादा जानकारी साझा नहीं कर रही है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैसे तस्कर मासूम बच्चों और उनके माता-पिता के सपनों को अपना निशाना बना रहे हैं