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dire wolf extinct: कुदरत के रहस्यों को खोलने की मानव की जिज्ञासा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। वो ध्वनि जो 12,000 साल से अनसुनी थी, अब जंगलों में गूंज रही है। ये कोई फिल्मी साउंडट्रैक या वीडियो गेम का प्रभाव नहीं बल्कि विलुप्त हो चुके विशालकाय भयानक भेड़िये की असली चीख है। इसे विज्ञान ने फिर से जिंदा कर दिखाया। कोलोसल बायोसाइंसेज की साहसी टीम ने इस प्राचीन शिकारी को डीएनए के जरिए वापस ला खड़ा किया है और आज ये भेड़िये धरती पर फिर से दहाड़ रहे हैं।

साल 2024 के अंत में कोलोसल बायोसाइंसेज ने भयानक भेड़िये के डीएनए से तीन पिल्लों को जन्म दिया रोमुलस, रेमस और खलीसी। इनके जन्म को विज्ञान की दुनिया एक मील का पत्थर मान रही है। ये वो प्रजाति है जो 12,000 साल पहले विलुप्त हो गई थी। अब ये पिल्ले उत्तरी संयुक्त राज्य अमेरिका के एक गुप्त अभयारण्य ‘ज़ोन अल्फा’ में रहते हैं। दो हजार एकड़ में फैला ये अभयारण्य ड्रोन, ऊंची बाड़ और इन-हाउस पशु अस्पताल से लैस है। यहाँ पूर्णकालिक पेशेवरों की टीम इन अनोखे मेहमानों की हर हरकत पर नजर रखती है।

जीन और जीवाश्म से हुआ चमत्कार

खूंखार भेड़िये अपने आम भेड़ियों से कहीं बड़े और ताकतवर थे। करीब 12,000 साल पहले ये धरती से गायब हो गए थे, मगर उनके जीवाश्म और डीएनए ने वैज्ञानिकों को एक मौका दिया। कोलोसल बायोसाइंसेज ने जीन संपादन और डीएनए तकनीक का इस्तेमाल कर इन विलुप्त जानवरों को फिर से जिंदगी दी। ये सिर्फ एक प्रयोग नहीं बल्कि कुदरत को उसका खोया हुआ हिस्सा लौटाने की कोशिश है। वैज्ञानिक इसे ‘डी-एक्सटिंक्शन’ की दिशा में बड़ा कदम मानते हैं यानी विलुप्त प्रजातियों को वापस लाने की कला।