
Up Kiran, Digital Desk: चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए, वैज्ञानिकों ने 'रियल-टाइम जीनोम सीक्वेंसिंग' (Real-Time Genome Sequencing) नामक एक नई तकनीक विकसित की है। इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य सुपरबग्स (Superbugs) के बढ़ते खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला करना है। सुपरबग्स वे जीवाणु (bacteria) होते हैं जिन्होंने कई एंटीबायोटिक्स (antibiotics) दवाओं के प्रति प्रतिरोध (resistance) विकसित कर लिया है, जिससे उनका इलाज करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
यह नई तकनीक संक्रमित रोगी से प्राप्त सुपरबग के डीएनए (DNA) या आरएनए (RNA) का तुरंत अनुक्रमण (sequencing) कर सकती है। इसका मतलब है कि वैज्ञानिक और डॉक्टर बहुत कम समय में सुपरबग की आनुवंशिक संरचना (genetic makeup) के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इस 'रियल-टाइम' जानकारी के कई फायदे हैं। यह डॉक्टरों को यह समझने में मदद करती है कि सुपरबग किस प्रकार के एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी है, जिससे वे सही और प्रभावी इलाज चुन सकते हैं। साथ ही, यह तकनीक सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को संक्रमण के फैलने की गति और पैटर्न को ट्रैक करने, प्रकोपों (outbreaks) की पहचान करने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने में सहायक होती है।
सुपरबग्स वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं, और पारंपरिक तरीके अक्सर उनके प्रसार को रोकने में धीमे साबित होते हैं। 'रियल-टाइम जीनोम सीक्वेंसिंग' इस लड़ाई में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरी है, जो त्वरित प्रतिक्रिया और अधिक लक्षित हस्तक्षेपों को सक्षम बनाती है। यह तकनीक एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खिलाफ लड़ाई में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है, जिससे भविष्य में अनगिनत जीवन बचाए जा सकेंगे।
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