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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के जोधपुर जनपद के एसएन मेडिकल कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में एक छात्रा का शव संदिग्ध अवस्था में मिलने से हड़कंप मच गया है। मृतका की पहचान सवाई माधोपुर जनपद की रहने वाली डॉक्टर कविता के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि कविता ने इसी कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी और कुछ ही दिनों बाद उसके पीजी के एग्ज़ाम शुरू होने वाले थे। सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

हॉस्टल नंबर 9 के कमरा 525 से आ रही थी मौत की ख़ामोश गंध

जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज की नीली दीवारों वाले हॉस्टल नंबर 9 में पिछले दो दिनों से एक रहस्यमयी दुर्गंध छात्रों को बेचैन कर रही थी। कमरा 525 का दरवाज़ा खटखटाया गया, पुकारा गया, मगर भीतर से कोई आवाज़ न आई। दरवाजे के उस पार पसरा सन्नाटा किसी अनकही त्रासदी की आहट दे रहा था। जब दरवाज़ा नहीं खुला और दुर्गंध बढ़ती गई, तो छात्राओं ने शास्त्री नगर थाना को सूचना दी।

जब पुलिस ने दरवाज़ा तोड़ा

कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने जब कमरे का दरवाज़ा तोड़ा, तो भीतर जो दृश्य था, उसने सबको स्तब्ध कर दिया। बिस्तर पर डॉक्टर कविता का शव पड़ा था अकेला, शांत और जैसे समय से परे चला गया हो। कमरे में फैली बदबू उसकी मृत्यु की समयावधि की गवाही दे रही थी। दीवारों पर सजी उसकी मेडिकल किताबें, स्टेथोस्कोप, और नोट्स अब चुपचाप उसकी अधूरी यात्रा की कहानी सुना रहे थे।

एफएसएल टीम ने जुटाए सबूत

सूचना मिलते ही एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की टीम भी मौके पर पहुंची। दस्तानों और कैमरों से लैस जांचकर्ता कमरे के हर कोने को खंगालते गए जैसे कोई अधूरी कहानी के टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश कर रहा हो। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, और हर कोई अब उस रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है जो कविता की रहस्यमयी मौत की असली वजह को उजागर कर सके।

भीतर टूट रही थी एक दुनिया

बताया जा रहा है कि डॉक्टर कविता लंबे समय से मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से जूझ रही थी। वह इलाज के दौरान सामाजिक मेलजोल से भी दूर रहती थी। पिछले वर्ष एमबीबीएस की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद वह पीजी की तैयारी में जुटी थी। उसकी पढ़ाई की राह आसान नहीं थी साल 2014 में एमबीबीएस में दाखिला लेने के बाद 2024 में जाकर उसने डिग्री पूरी की। बार-बार एग्ज़ाम में बैक आना, दस साल तक संघर्ष करना, और लगातार मानसिक दबाव झेलना उसे धीरे-धीरे भीतर से तोड़ रहा था।

दो दिनों से बंद था कमरा, फिर आई मौत की गंध

छात्राओं के अनुसार, कविता के कमरे से सोमवार की रात से ही दुर्गंध आ रही थी, पर पहले-पहल सबने सोचा कि शायद किसी जानवर की मृत्यु हुई होगी। मगर मंगलवार रात जब बदबू असहनीय हो गई, तो छात्राओं ने पड़ताल शुरू की। जैसे ही वे कमरा 525 के पास पहुंचीं, उन्हें यकीन हो गया कि कुछ अनहोनी हुई है। दरवाज़ा बंद मिला, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली फिर पुलिस को बुलाया गया।

 

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