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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के सीतापुर (Sitapur, Uttar Pradesh) जिले में एक बड़ी घटना सामने आई है, जहां स्थानीय पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या के मामले में कथित रूप से शामिल दो प्रमुख आरोपियों को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया है। यह एनकाउंटर (Encounter) गुरुवार को सीतापुर में हुआ, जिसने न केवल पुलिस कार्रवाई की तीव्रता को उजागर किया, बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा (Journalist Safety) को लेकर जारी बहस को भी एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।

पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या हाल ही में की गई थी, जिसके बाद से पुलिस लगातार हत्यारों की तलाश में थी। यह घटना यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में कानून-व्यवस्था को लेकर कड़े रुख को दर्शाती है, जहां अपराधों में संलिप्त लोगों के खिलाफ 'पुलिस एनकाउंटर' की कार्रवाईयां तेज हुई हैं। सीतापुर पुलिस को विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिली थी कि पत्रकार की हत्या में शामिल दो वांछित अपराधी क्षेत्र में छिपे हुए हैं। सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घेराबंदी की।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जब टीम ने इन अपराधियों को घेरने की कोशिश की, तो उन्होंने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में हुई गोलीबारी के दौरान दोनों आरोपी गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दावा किया है कि ये दोनों पत्रकार की हत्या में सीधे तौर पर शामिल थे और उनकी गिरफ्तारी के लिए इनाम भी घोषित किया गया था। यह मुठभेड़ अपराधियों के बीच डर का संदेश देने के साथ-साथ यह भी दिखाती है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है।

इस मुठभेड़ के बाद सीतापुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। स्थानीय लोग और पत्रकार समुदाय इस घटना पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। जहां एक ओर कुछ लोग इसे पुलिस की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई मानकर सराहना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने ऐसी मुठभेड़ों में न्याय के पहलू पर सवाल भी उठाए हैं।

 उनका कहना है कि निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया के बिना किसी को भी मौत के घाट उतारना सही नहीं है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि उन्होंने आत्मरक्षा में कार्रवाई की है, और इस मामले की गहन जांच की जाएगी। इस घटना से 'ऑपरेशन क्लीन' और 'अपराधियों का सफाया' जैसी राज्य सरकार की नीतियों पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। यह मुठभेड़ यह भी रेखांकित करती है कि उत्तर प्रदेश में आपराधिक तत्वों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संघर्ष एक गंभीर चुनौती बनी हुई है।

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