
hospital negligence: महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। माणगांव उप-जिला अस्पताल में 14 साल के एक स्कूली छात्र को बिना इलाज के घर भेज दिया गया और अगले ही दिन उसकी मौत हो गई।
मृतक की पहचान गर्वांग दिनेश गायकर के रूप में हुई है। मृतक म्हसाला तालुका के घूम गांव का रहने वाला था। परिवार का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही ने उनके बेटे की जान ले ली। इस घटना ने न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर किया, बल्कि स्थानीय लोगों में गुस्सा भी भड़का दिया है।
बुखार से शुरू हुई कहानी, मौत पर खत्म
गर्वांग के पैर में तकलीफ के बाद उसे शुक्रवार को इलाज के लिए म्हसाला ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया। हालत बिगड़ने पर उसे बुखार हो गया और शनिवार रात 5 अप्रैल को 108 एम्बुलेंस से माणगांव उप-जिला अस्पताल लाया गया। मगर यहाँ जो हुआ, वो हैरान करने वाला था। परिवार का कहना है कि डॉक्टरों ने गर्वांग की ठीक से जांच तक नहीं की और बिना इलाज के उसे घर भेज दिया। अगले दिन रविवार को उसकी हालत और बिगड़ी, और उसने दम तोड़ दिया।
गर्वांग के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों को उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया। मृतक के पिता दिनेश गायकर ने कहा कि मेरा बेटा जिंदा था, उसे बचा सकते थे। मगर डॉक्टरों ने न जांच की, न दवा दी। ये हत्या है। इस घटना के बाद शिवसेना ने आक्रामक रुख अपनाया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने अस्पताल का दौरा किया और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इलाके में तनाव बढ़ गया है और लोग जवाब मांग रहे हैं।