
नई दिल्ली: भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक रणनीतिक अभियान की शुरुआत की है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दी जा रही शह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना है। खास बात यह है कि इस बार भारत की आवाज संसद से निकलेगी — देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों की सात टीमें विदेशों में जाकर पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंकी नेटवर्क को बेनकाब करेंगी।
इस अभियान के तहत ये टीमें संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, खाड़ी देशों, अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशियाई पड़ोसियों से संपर्क करेंगी। इनका मकसद केवल पाकिस्तान के खिलाफ सबूत रखना नहीं, बल्कि वैश्विक जनमत तैयार करना भी है, ताकि पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाया जा सके।
सूत्रों के अनुसार, इन सांसदों में सभी प्रमुख दलों का प्रतिनिधित्व होगा ताकि यह संदेश जाए कि भारत इस विषय पर एकजुट है। इन प्रतिनिधिमंडलों में विदेशी मामलों, रक्षा, आंतरिक सुरक्षा और मानवाधिकार जैसे विषयों में दक्ष सांसद शामिल किए गए हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी समूहों — जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन — को दी जा रही सहायता के प्रमाण, सीमा पार आतंकवाद की घटनाएं, कश्मीर को लेकर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार, और सोशल मीडिया पर चल रहे भारत विरोधी अभियानों को विस्तार से सामने रखेगा।
इस योजना की खास बात यह है कि भारत इस बार कूटनीति के पारंपरिक मंचों से अलग जनसंपर्क की रणनीति भी अपनाएगा — यानी सांसद स्थानीय मीडिया, थिंक टैंक और विश्वविद्यालयों में जाकर खुली चर्चा करेंगे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उद्देश्य सिर्फ पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करना नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूती देना भी है। अब देखना यह है कि भारत की यह संसद-नीति कूटनीति कितनी असरदार साबित होती है।
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