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Up Kiran, Digital Desk: झारखंड की राजनीतिक धरती ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने सत्ता को कभी साधन नहीं, बल्कि साधना माना। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके जाने से न केवल एक युग का अंत हुआ, बल्कि आदिवासी राजनीति की एक आवाज भी हमेशा के लिए खामोश हो गई।

एक साधारण व्यक्ति, असाधारण प्रभाव

शिबू सोरेन को लोग 'गुरुजी' के नाम से जानते थे, लेकिन उनकी पहचान केवल एक नेता की नहीं थी। वे झारखंड की जनता के लिए उम्मीद और संघर्ष का प्रतीक रहे। संसदीय राजनीति में आने से पहले उन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए सड़क से संसद तक आवाज बुलंद की। उन्होंने कभी अपने लिए सत्ता या दौलत नहीं चाही और यही बात उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है।

आर्थिक स्थिति: आंकड़े जो सादगी बयां करते हैं

राजनीतिक जीवन में ईमानदारी के साथ जीने के उनके दावों को उनके चुनावी दस्तावेज भी मजबूती से साबित करते हैं। 2019 में दाखिल शपथपत्र के मुताबिक, शिबू सोरेन के पास कुल संपत्ति करीब ₹7.25 करोड़ की थी, जिसमें जमीन-जायदाद और कुछ अन्य चल संपत्तियाँ शामिल थीं। लेकिन इसके समानांतर, उनके ऊपर ₹2.2 करोड़ से ज्यादा की देनदारी भी दर्ज थी, जो दिखाता है कि उन्होंने कोई 'राजा-महाराजा' जैसा जीवन नहीं जिया।

उनकी वार्षिक आय का भी विश्लेषण करें तो 2017-18 में ₹7 लाख के आसपास, 2016-17 में ₹6.76 लाख और 2015-16 में ₹6.5 लाख के करीब रही। ये आंकड़े उस दौर के हैं जब कई नेता करोड़ों में आय दिखा रहे थे। इस तुलना में शिबू सोरेन की वित्तीय पारदर्शिता और सीमित संसाधनों में जीवन का संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है।

झारखंड की राजनीति में खालीपन और चुनौती

'गुरुजी' के निधन के बाद झारखंड में सिर्फ एक राजनीतिक चेहरा नहीं, बल्कि एक सोच और विचारधारा का शून्य बन गया है। शिबू सोरेन आदिवासी राजनीति की रीढ़ थे, जो न केवल सत्ता के समीकरण बदलते थे, बल्कि समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को राजनीतिक धारा में लाने का भी काम करते थे।

अब सवाल उठता है कि उनके बाद कौन उनकी राजनीतिक विरासत को संभालेगा? उनके बेटे हेमंत सोरेन पहले ही मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राजनीतिक अनुभव रखते हैं, लेकिन क्या वे 'गुरुजी' जैसी जनस्वीकृति और आदिवासी समुदाय के भीतर गहरी पैठ बना पाएंगे? यह भविष्य बताएगा, लेकिन इतना तय है कि यह स्थान आसानी से भरा नहीं जा सकेगा।

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