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violence over reservation: बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्र संगठनों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन के दौरान अब तक सैकड़ों युवाओं की मौत हो चुकी है। सेना की तैनाती और देशव्यापी कर्फ्यू लगाए जाने के बावजूद बांग्लादेश में हालात काबू में नहीं आ सके हैं। इसलिए अब सरकार ने सख्त कदम उठाया है। बांग्लादेश सरकार ने अब हिंसा रोकने के लिए देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है। इस फैसले से हालात और खराब होने की आशंका है।
बांग्लादेश पिछले कई दिनों से आरक्षण के मुद्दे से जूझ रहा है। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हिंसा भड़क उठी। देश के विभिन्न हिस्सों में भड़की हिंसा में अब तक 133 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके बाद पुलिस ने शनिवार को पूरे देश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया और सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में डेरा डाल दिया है। वहीं पुलिस को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।
देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा सेना को भी मोर्चा संभालने को कहा गया है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं। सिविल सेवा की नौकरियों में कोटा रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट रविवार को अपना फैसला सुनाएगा। गुरुवार को जब प्रदर्शनकारी छात्रों ने देश में पूर्ण बंद लागू करने की कोशिश की तो 22 लोग मारे गए।
क्यों हो रहा है विरोध प्रदर्शन
बांग्लादेश में हिंसा का मुख्य कारण सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग और विरोध है। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने मांग की है कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोगों के वंशजों को सरकारी नौकरियों में दिया गया आरक्षण बरकरार रखा जाना चाहिए। जबकि दूसरा समूह सरकारी नौकरियों में इस तरह की व्यवस्था जारी रखने के खिलाफ है। उनका मानना है कि यह आरक्षण रद्द किया जाना चाहिए। इसके चलते बांग्लादेश में लगातार हिंसा हो रही है।