कर्नाटक में नई सरकार का गठन हो चुका है। बेंगलुरु में शनिवार को आयोजित समारोह में सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वहीं डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनाए गए। सिद्दरमैया डीके के साथ ही आठ विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। सिद्धरमैया ने अपनी कैबिनेट में एक मुस्लिम चेहरे को भी जगह दी है। जमील अहमद खान को मंत्री बनाया गया है। वो कांग्रेस सरकार में दूसरी बार मंत्री बनाए गए हैं। आइए जानते हैं कौन हैं जमील अहमद खान।
कर्नाटक के पाँच बार के विधायक वो सिद्धारमैया के बहुत करीबी माने जाते हैं। जमील अहमद खान कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर पुराने बेंगलुरु क्षेत्र के कामराज पेठ विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर पाँच विरार विधानसभा पहुंचे। चुनाव में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पूर्व शहर पुलिस आयुक्त भास्कर राव को करीब 53,000 से अधिक मतों से हराया है। कामराज पेठ विधानसभा को जमील अहमद का गढ़ माना जाता है।
उन्होंने निरंतर पांच विधानसभा चुनावों में सीट से जीत हासिल की है। उनके पास मुस्लिम समुदाय का बहुत बड़ा सपोर्ट है। जमील सिद्दारमैया के हिमायती नेता हैं। डीके शिवकुमार हाल ही में मुख्यमंत्री पद की जीत को लेकर अड़े हुए थे तो जमील सिद्दारमैया के साथ दिल्ली में डटे हुए थे। इतना ही नहीं जमील डीके शिवकुमार की मुखालफत तक कर चुके हैं। चुनाव से पहले जुलाई 2 हज़ार 22 में जमील अहमद खान ने डीके शिवकुमार को घेरा था। उन्होंने डीके शिवकुमार की वोक्कालिंगा समुदाय को संगठित करने की कोशिश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि 32 समुदाय के समर्थन से कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। इस बयान के बाद वो सुर्खियों में आ गए थे।
जानें अहमद कैसे की थी राजनौतिक सफर की शुरूवात
जमील अहमद के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने जेडीएस के साथ अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की थी। उन्होंने पहली बार दो हज़ार 5 में चामरा झपटी विधानसभा उप चुनाव में जीत हासिल की थी। दो हज़ार 6 में वो कर्नाटक सरकार में हजार वक्फ बोर्ड के मंत्री बने, लेकिन 2016 में जेडीएस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। उन पर राज्यसभा चुनाव में पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने का आरोप था। 2018 विधानसभा चुनाव से पहले जमील अहमद खान ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। उन्होंने कॉंग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की तब उन्हें 54 फीसदी से अधिक वोट मिले। 2018 में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार में कांग्रेस विधायक के तौर पर जमील अहमद को कुमारस्वामी की कैबिनेट में शामिल किया गया और मंत्री बनाया गया।
हालांकि वो सरकार कांग्रेस के विधायकों में बगावत के चलते गिर गई और भाजपा ने अपनी सरकार बना ली। पता नहीं सिद्दारमैया ने कैबिनेट में सभी वर्गों को क्यों जगह दी है। फिर चाहे वो लिंगायत हो या हो, मेसी या फिर अल्पसंख्यक खान को मंत्रिमंडल में शामिल कर सिद्धारमैया ने मुस्लिम समुदाय को एक संदेश देने की कोशिश की है। कर्नाटक में कैबिनेट गठन को 2024 से पहले की झलक के रूप में भी देखा जा रहा है।
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