
Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक की राजनीति में भूचाल लाने वाली जाति जनगणना रिपोर्ट पर अब एक नया मोड़ आ गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता डी.के. शिवकुमार ने साफ कर दिया है कि इस रिपोर्ट को स्वीकार करने या न करने का कोई भी फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला: कर्नाटक में कुछ साल पहले एक जाति आधारित सर्वे कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट अब सरकार के पास है। इस रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस सरकार के अंदर ही दो गुट बन गए हैं। एक गुट, जिसका नेतृत्व खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कर रहे हैं, इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू करना चाहता है। वहीं, दूसरा गुट, जिसमें उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार समेत कई दूसरे बड़े नेता शामिल हैं, इस रिपोर्ट का विरोध कर रहा है।
डीके शिवकुमार ने क्यों खींचे हाथ?
डी.के. शिवकुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "इस मामले पर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री और मैं मिलकर लेंगे। जब भी हम इस पर चर्चा करेंगे, हम आपको बताएंगे।" उनका यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि वह राज्य के प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, और माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में समुदाय की आबादी को कम करके दिखाया गया है।
शिवकुमार ने पहले भी कहा था कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उन्हें हर समुदाय के हितों की रक्षा करनी है। उनके इस बयान को इसी नजरिए से देखा जा रहा है कि वह इस रिपोर्ट को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी के मूड में नहीं हैं।
इस रिपोर्ट ने कर्नाटक सरकार के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। एक तरफ रिपोर्ट को लागू करने का दबाव है, तो दूसरी तरफ पार्टी के अंदर ही इसके खिलाफ उठ रही आवाजें हैं। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार मिलकर इस सियासी चक्रव्यूह से कैसे बाहर निकलते हैं।