
भारत में तुष्टिकरण की बहस कोई नई बात नहीं है, खासतौर पर जब यह किसी खास समुदाय को लेकर राजनीतिक लाभ के लिए की जाने वाली कोशिशों से जुड़ी हो। लेकिन अब यही मुद्दा ब्रिटेन की सरजमीं पर भी गूंजने लगा है। खासकर मुस्लिम समुदाय को लेकर राजनीतिक और शाही गलियारों में जो बयानबाज़ी हो रही है, उसने ब्रिटेनवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
ईस्टर पर इस्लाम की तारीफ, लोगों को खटका राजा का संदेश
ब्रिटेन के सम्राट किंग चार्ल्स ने ईस्टर के मौके पर जो आधिकारिक संदेश जारी किया, उसमें इस्लाम की प्रशंसा की गई। एक ऐसे पर्व पर, जिसे ईसाई धर्म का प्रतीक माना जाता है, इस्लाम की बात करना कई लोगों को नागवार गुज़रा। सोशल मीडिया पर लोग यह तक पूछने लगे कि क्या किंग चार्ल्स ने धर्म परिवर्तन कर लिया है? चौंकाने वाली बात ये है कि ब्रिटेन के सम्राट को पारंपरिक रूप से "ईसाई धर्म का रक्षक" माना जाता है, ऐसे में उनका यह संदेश कई सवाल खड़े कर रहा है।
ब्रिटिश जेलों में बढ़ता 'इस्लामी नियंत्रण'?
ब्रिटेन की जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। साल 2002 में जहां ये संख्या करीब 5,500 थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 16,000 के पार पहुंच गया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि जेलों में 'मुस्लिम ब्रदरहुड' जैसे गिरोह सक्रिय हैं, जो शरिया कानून लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। ब्रिटिश प्रिजन ऑफिसर्स एसोसिएशन के अनुसार, यह गिरोह न केवल कट्टरता फैलाते हैं, बल्कि ड्रग्स तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों में भी लिप्त हैं।
ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी की तेज़ रफ्तार बढ़ोतरी
जनसंख्या के आंकड़े भी इसी दिशा में इशारा कर रहे हैं। साल 2011 में जहां मुस्लिम समुदाय की संख्या करीब 27 लाख थी, वहीं 2021 की जनगणना में यह बढ़कर 39 लाख हो गई। आज मुस्लिम आबादी ब्रिटेन की कुल जनसंख्या का लगभग 6.5% हिस्सा है, जबकि हिंदू समुदाय का अनुपात 5% से भी कम है। अकेले लंदन में मुस्लिम आबादी 15% तक पहुंच चुकी है।
ब्रिटेन में 1800 से अधिक मस्जिदें और 30 से ज्यादा शरिया काउंसिल सक्रिय हैं। इन आंकड़ों ने सियासी समीकरणों को भी बदल दिया है।
राजनीति में भी मुस्लिम प्रभाव साफ दिखने लगा है
ब्रिटेन की स्थानीय राजनीति में मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढ़ा है। लंदन के मेयर सादिक खान लगातार तीसरी बार चुने गए हैं। न्यूहैम में रुखसाना फयाज और टावर हैमलेट में लुत्फुर रहमान जैसे मुस्लिम नेताओं ने मेयर पद संभाला है। ऑक्सफोर्ड में लुबना अरशद लॉर्ड मेयर बनीं, जो इस बात का प्रतीक है कि मुस्लिम समुदाय का राजनीतिक प्रभाव अब सीमित नहीं रहा।
2021 की जनगणना: ईसाई घटे, मुस्लिम बढ़े
ब्रिटेन की 2021 की जनगणना के मुताबिक, ग्रेटर लंदन में मुस्लिमों की संख्या 10 लाख से ऊपर है। यॉर्कशायर और हंबर क्षेत्र में यह आंकड़ा 10% के करीब पहुंच चुका है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो 2050 तक मुस्लिम आबादी 11% तक जा सकती है, जबकि ईसाई आबादी घटकर 45% तक सीमित हो सकती है।
कट्टरपंथ और इस्लामोफोबिया—दोनों में इज़ाफा
जनसंख्या और राजनीतिक प्रभाव के साथ कट्टरपंथ में भी वृद्धि देखी जा रही है। वहीं, इस्लामोफोबिया भी तेज़ी से बढ़ा है। टेलमामा नामक संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में मुस्लिम विरोधी घटनाएं 5,837 दर्ज हुईं, जो 2023 की तुलना में काफी अधिक हैं। गाज़ा संघर्ष के बाद यह संख्या और बढ़ी है।
400 साल पुरानी मौजूदगी, अब नई बहस का केंद्र
ब्रिटेन में मुस्लिमों की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। 400 साल पहले जब ईस्ट इंडिया कंपनी सक्रिय थी, तब भारतीय मुस्लिम नाविकों ने पहली बार ब्रिटेन की ज़मीन पर कदम रखा था। इसके बाद से उनकी आबादी और सामाजिक-राजनीतिक भूमिका लगातार बढ़ती रही है।