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Up Kiran, Digital Desk: 22 मई की सुबह जब सूरज की किरणें हरनाटाड़ के घने जंगलों पर पड़ रही थीं, उसी समय एक खबर ने पूरे वन विभाग को झकझोर कर रख दिया—वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में एक चार वर्षीय बाघिन मृत अवस्था में पाई गई।

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित VTR राज्य का इकलौता टाइगर रिजर्व है, और यहां की हर हलचल वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत मानी जाती है। गुरुवार सुबह जब वन प्रमंडल-2 के हरनाटाड़ इलाके में गश्त पर निकले वनकर्मियों की नजर कक्ष संख्या एन-3 में एक बाघिन के शव पर पड़ी, तो हड़कंप मच गया।

शव की हालत देखकर अंदाजा लगाया गया कि मौत स्वाभाविक नहीं थी। शरीर पर कई जगह गहरे घाव मिले, जिससे प्रथम दृष्टया यह आशंका जताई गई कि यह घटना क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा हो सकती है। VTR के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. नेशामणि ने बताया कि संभवतः किसी अन्य बाघ के साथ हिंसक संघर्ष में इस बाघिन की जान चली गई। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी संभावना जताई कि दूसरा बाघ भी इस संघर्ष में गंभीर रूप से घायल हो सकता है, जिसकी तलाश और निगरानी के लिए एक विशेष टीम तैनात की गई है।

क्या है मामला, और क्यों है यह चिंता का विषय

VTR में पिछले पांच वर्षों में छह से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा बिहार के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों पर सवाल खड़ा करता है। हालांकि, इस ताजा घटना में शिकार की संभावना को पूरी तरह से खारिज किया गया है, फिर भी यह घटना VTR में बाघों की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करती है।

वन संरक्षक, डीएफओ पीयूष बरनवाल, रेंजर शिवकुमार राम, वेटनरी विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार टोनी, बॉयोलॉजिस्ट सौरभ कुमार समेत अन्य अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। साथ ही मौत के वास्तविक कारणों की पुष्टि के लिए नमूने IVRI बरेली और WII देहरादून भेजे जा रहे हैं।

बढ़ती मौतें और घटती उम्मीदें

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व न केवल बिहार की शान है, बल्कि पूरे पूर्वी भारत के लिए जैव विविधता का एक अनमोल खजाना है। ऐसे में यहां बाघों की लगातार हो रही मौतें एक गंभीर चेतावनी हैं। क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाइयाँ जंगलों में सामान्य मानी जाती हैं, लेकिन इन घटनाओं की आवृत्ति अगर बढ़ रही है, तो यह संकेत है कि कहीं न कहीं प्राकृतिक संतुलन या आवास व्यवस्था गड़बड़ा रही है।

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